चाण्डाल शब्द का उपयोग उन लोगों के लिए किया जाता है जो सबसे बुरे हैं, गंदे हैं और दुष्ट प्रवृत्ति के हैं। आचार्य चाणक्य ने बताया है कि पशु, पक्षी और इंसानों में कौन होता है चाण्डाल, आगे दिए गए फोटो पर क्लिक करें और जानिए खास चाणक्य नीति…

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आचार्य कहते हैं कि-
पक्षिणां काकचाण्डाल: पशूनां चैव कुक्कुर:।
मुनीनां पापी चाण्डाल: सर्वचाण्डालनिंदक:।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि पक्षियों कौआ चाण्डाल होता है। कौआ को सबसे गंदा और दृष्ट प्रवृत्ति का पक्षी माना जाता है।
कौआ एक ऐसा पक्षी है जिसे अच्छी-बुरी चीजों का ज्ञान नहीं होता है। वह हमेशा गंदी और अपवित्र चीजों पर ही जाकर बैठता है। इसी कारण कौआ को चाण्डाल पक्षी माना गया है।
पशुओं में कुत्ते का चाण्डाल माना गया है क्योंकि कुत्ता भी अक्सर गंदगी में ही रहता है। कुत्ता और कौआ दोनों का स्वभाव एक समान ही होता है।
इसी प्रकार आचार्य ने ऋषि-मुनियों और विद्वानों में उन लोगों को चाण्डाल बताया है जो क्रोध करते हैं, दुष्ट प्रवृत्ति के हैं, स्वार्थी हैं, दूसरों का अहित करने वाले हैं।
सामान्य व्यक्तियों में वे लोग चाण्डाल हैं जो दूसरों की निंदा करते हैं। जो लोग सदैव दूसरों की बुराई करते हैं, दुष्ट प्रवृत्ति वाले इंसान हैं, वे चाण्डाल माने गए हैं।