कोरोना संक्रमण से खुद को बचाने के लिए लोगों ने खूब देसी-एलोपैथी नुस्खों का सहारा लिया। अब इसका दुष्प्रभाव लोगों पर दिखने लगा है। आलम यह है कि कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए लोगों ने इम़्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) को मजबूत करने के लिए काढ़े से लेकर दवाओं तक का इस्तेमाल खूब किया। इसका दुष्प्रभाव यह हुआ कि लोगों की किडनी कमजोर होने लगी। लोग डायलिसिस कराने से लेकर किडनी का इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचने लगे।

किडनी के लिए खतरनाक साबित हुआ काढ़ा:

कोरोना की दूसरी लहर जब चली तो लोगों ने कोरोना से बचने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई देसी नुस्खे से लेकर एलोपैथी दवाओं के सेवन पर जोर दिया। करीब 90 प्रतिशत लोगों ने तो काढ़े का जमकर इस्तेमाल किया। बिना चिकित्सकीय सलाह लिये काढ़े का इस्तेमाल करने का असर यह हुआ कि लोगों की किडनी पर इसका साइड इफेक्ट पड़ने लगा और लोगों में एक्यूट इंटरस्ट्रैयिल नेफ्राइटिस की बीमारी होने लगी।

बीते पांच माह में 30 प्रतिशत तक बढ़े एक्यूट इंटरेस्ट्रैयिल नेफ्राइटिस के मामले:

मायागंज अस्पताल के आंकड़े बताते हैं कि मेडिसिन विभाग से लेकर सर्जरी विभाग के ओपीडी में बीते पांच माह में एक्यूट इंटरेस्ट्रैयिल नेफ्राइटिस के मामले में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई। मार्च 2021 तक मायागंज अस्पताल में एक्यूट इंटरेस्ट्रैयिल नेफ्राइटिस के मामले जहां हर दिन 10 से 12 आते थे, अब आज की तारीख में इसकी संख्या बढ़कर 15 से 16 रोजाना तक पहुंच चुकी है।

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मरीजों में सीरम क्रिएटनिन बढ़ा हुआ मिल रहा

वरीय आथ्रोपेडिक एंड माइक्रो सर्जन डॉ. इम्तियाजुर्रहमान कहते हैं कि एक्यूट इंटरेस्ट्रैयिल नेफ्राइटिस के मरीजों में सीरम क्रिएटनिन बढ़ा हुआ मिल रहा है। ये लोग वहीं हैं जिन्होंने कोरोना संक्रमण से खुद को बचाने के लिए जमकर देसी काढ़े या फिर इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं का इस्तेमाल किया था। बड़ी बात यह कि इन्हें इससे पहले कभी भी किडनी की बीमारी नहीं थी। ऐसे मरीजों में दर्द, बुखार, बैचेनी व शरीर में सूजन होने के लक्षण मिल रहे हैं। डॉ. इम्तियाजुर्रहमान ने बताया कि चूंकि शरीर के रसायन को छानने का काम किडनी ही करती है। ऐसे में काढ़े या फिर इम्यूनिटी बूस्टर वाली दवाओं के सेवन का असर किडनी पर पड़ा। यहीं कारण रहा कि इन दिनों डायलिसिस कराने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है।

बिना लक्षण वाले संक्रमितों पर ज्यादा असर

किडनी पर कोरोना वायरस ने भी असर डाला है। संक्रमण के कारण किडनी की कार्यप्रणाली सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है। संक्रमण से उबर चुके लोग (पोस्ट कोविड मरीज) में भी सीरम क्रिएटनिन मानक से अधिक मिल रहा है। मायागंज अस्पताल में बीते 21 दिन में 45 ऐसे इलाज के लिए पहुंचे, जिनमें सीरम क्रिएटनिन बढ़ा हुआ था। इनमें अधेड़ व बुजुर्गों की संख्या ज्यादा रही। मायागंज अस्पताल के वरीय फिजिशियन डॉ. राजकमल चौधरी ने बताया कि संक्रमण के दौरान किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोगों को डायलिसिस करानी पड़ी है। संक्रमण से उबरने के बाद कुछ लोगों में सीरम क्रिएटनिन मानक से ज्यादा मिला है। ऐसे मरीजों को भी डायलिसिस करानी पड़ी है। माना जा रहा है कि ये सभी बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमित (एसिम्पटोमेटिक कोविड मरीज) रहे होंगे।