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भागलपुर: युवा राजद के प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार यादव ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा तिरंगा यात्रा कार्यक्रम पर कहा कि स्वाधीनता संग्राम एवं स्वतंत्र भारत के इतिहास के साथ क्रूर मज़ाक है । जिस पार्टी की मातृ संगठन आर एस एस  के मुख्यालय नागपुर में तिरंगा फहराये जाने पर आर एस एस ने स्वयं 52 वर्षों तक रोक लगाये रखा,जहाँ 26 जनवरी 2001 को राष्ट्रप्रेमी युवा दल के 3 कार्यकर्ताओं बाबा मेंढे,रमेश कलंबे एवं दिलिप चट्नी को तिरंगा फहराने की चेष्टा के लिये पुलिस को सौंप दिया गया,यह मुकदमा 12 वर्षों तक चलने के बाद नागपुर की एक अदालत ने सबूतों के अभाव में इन तीनो को रिहा कर दिया। जहाँ 15 अगस्त 1947 एवं 26 जनवरी 1950 के अतिरिक्त सन्  2002 के पहले कभी भी तिरंगा नहीं फहराने दिया गया ।तब बीजेपी को तिरंगा यात्रा के बजाय अपने अतीत पर चिंतन करना चाहिये।
इस सम्बन्ध में हाल ही में आरएसएस के महामंत्री  भैया जी जोशी ने तिरंगा के समतुल्य भगवा  को  मानकर एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है।यह उस अंडरटेकिंग के साथ छल है जो आरएसएस ने 1949 में तत्कालीन गृह मंत्री स्व बल्लभ भाई पटेल को दिया था जिसमे तिरंगा को उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज माना था साथ ही तिरंगा के समतुल्य किसी भी ध्वज को नहीं मानने का भी आरएसएस ने भरोसा दिया।
राष्ट्र से प्रेम और राष्ट्रवाद पर भाजपा की नयी कवायद हास्यास्पद है क्योकि बीजेपी और उनकी मातृ संगठन का विवादित अतीत इसके आड़े आ जाता है ।श्री यादव ने कि पूरा देश महंगाई,बेरोजगारी,भूखमरी,आतंक से जूझ रहा है,बिहार प्रदेश के कई जिला बाढ़ और सुखार से जूझ रहे है मानवता के नाते बाढ़ पीडितो की सेवा करने के बदले तिरंगा यात्रा निकाल कर लोगो को गुमराह कर भाजपा के नेता अपना चेहरा चमकाने में लगे हुए है।