
आज 1 अक्तूबर से नवरात्र का प्रारंभ हो रहा है। भारत में हर पर्व ऋतु, इतिहास, भूगोल, आकाशीय ग्रह एवं नक्षत्र परिवर्तन, विज्ञान, संस्कृति व परंपरा आदि से जुड़ा हुआ है। नवरात्र वस्तुत: दो ऋतुओं का संगम है जब 6 महीने बाद ऋतु परिवर्तन होता है। इन मौसम में गर्मी व सर्दी ही मुख्य रूप से मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। सर्दी के समापन और गर्मी के आगमन पर वासंतिक नवरात्र भारत में मनाए जाते हैं।
देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना का महत्व इन दिनों में बढ़ जाता है। पुराणों के अनुसार नौ दिनों तक कुछ सावधानियां रखने से देवी दुर्गा के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त किया जा सकता है। जिससे घर में रूपए-पैसे, सुख-समृद्धि की कमी नहीं होगी और दिनों दिन आपका खज़ाना बढ़ेगा।
* ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं, सूर्योदय के बाद सोना नहीं चाहिए।
* सुबह-सुबह घर की साफ-सफाई करें। बेकार वस्तुओं को घर से हटा देना चाहिए। अन्यथा घर में नकारात्मकता फैलती है। शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी जी का वास वहीं होता है जहां सुंदरता एवं पवित्रता हो। यथासंभव घर की सफाई एवं सजावट करें।
* रूप और सौंदर्य की प्राप्ति के लिए शरीर पर उबटन लगा कर स्नान करना चाहिए।
* घर में सुगंधित वातावरण बना रहने से मस्तिष्क प्रसन्नचित और शांत रहता है जिसके चलते गृह-क्लेश नहीं होता। वास्तुदोष का भी निवारण होता है। तन-मन पर सुगंध अपना विशेष प्रभाव डालती है।
* क्रोध न करें।
* जीवनसाथी से तू-तू, मैं-मैं न करें।
* शाम को सोने से व्यक्ति लक्ष्मीहीन होकर दुर्भाग्य को पाता है।
* मांस और मदिरा का सेवन न करें।
* देवी मां के मंदिर में सिर झुकाने से पहले अपने माता-पिता और वृद्धजनों से आशीर्वाद प्राप्त करें। भूल से भी उनके मान-सम्मान को हानि न पंहुचाए।
* ब्रह्मचर्य का पालन करें।