दो दिन पहले जन्म लेने वाले एक नवजात बच्चे की मौत हो गयी जिसे लोगों द्वारा दफना भी दिया गया, लेकिन एक सपने में दिखी कहानी को सच मान कर दो दिन पहले दफनाएं हुए बच्चे को जब उस स्थान से निकाला गया तो उसकी सांसे चल रहीं थी.

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लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है, इसे दैविक चमत्कार कहा जाए या कुछ और बताते चले कि अमनौर प्रखंड के रसूलपुर गांव में रहने वाले गरीबन महतो की पघ्त्नी सीजानती देवी को नौ साल इंतजार करने के बाद एक पुत्र का जन्म हुआ जिसको लेकर घर में खुशी की लहर दौड़ पड़ी लेकिन खुशी कुछ ही समय में दुख में बदल गया जन्म लेने वाले नवजात बच्चे की किसी कारणवश मौत हो गयी जिसे गांव के ही एक पोखरे में मिट्टी खोदकर दफना दिया गया शनिवार की रात को उस बच्चे की फुआ सुशीला देवी को सोये अवस्था में एक सपना आया जिसमें उसने बच्चे को जीवित अवस्था में देखा.
सुबह होते ही उसने स्वयं जाकर गड्ढे को खोदकर बच्चें को जब निकालकर देखा तो बच्चें की सांस सचमुच की चल रहीं थी.

खुशी के मारे पागल होकर फुआ ने बच्चे को मंदिर में टीका लगाने के लिए मंदिर पहुंची तो ग्रामीणों ने उसको मृत बच्चे को मंदिर में लेकर जाने का विरोध करने लगें जब उसने सच्चाई लोगों को बतायी और ग्रामीणों ने बच्चे की नब्ज देखी तो उसकी नब्ज सचमुच चल रहीं थी आनन फानन में ग्रामीण और पंचायत के मुखिया पति नागेन्द्र प्रसाद सिंह के सहयोग से बच्चे को चिकित्सा के लिए छपरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है देखना हैं कि जिस बच्चे को मृत मानकर दफना दिया गया था वह जीवित बचने के बाद भगवान की कृपा रहती है या नहीं.

जीवित निकाला गया बच्चा आखिर में दम तोड़ ही दिया सदर अस्पताल में इलाज के लिए लाये गये अमनौर प्रखंड के रसूलपुर गांव में जन्मे बच्चे को चिकित्सकों ने बचाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन उसे बचाने में असफल रहे एक बार फिर मां की गोद सूनी हो गयी लोगों का कहना हैं कि अगर बच्चे को दफनाया नहीं जाता तो शायद वह जीवित रहता ग्रामीणों में इसकी चर्चा जोरों पर है.