
नवगछिया : खरीक प्रखंड के कोसी पार का सुदूर भवनपुरा गांव में मां भगवती दुर्गा माता जलेश्वरी के रूप में विख्यात हैं. जलेश्वरी नाम के पीछे दो सौ वर्ष पुरानी कहानी है. एक मछुआरा कुछ दिनों से चानोका तालाब में जाल गिरता तो उसके जाल में मछली के जगह हर दिन एक पत्थर फंस जाता था. बेचारा मछुआरा अपने किस्मत को कोसते हुए हर दिन उस पत्थर को पुनः तालाब में ही फैंक देता था.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!यह कई दिन से चल रहा था. एक दिन मछुआरे को मां दुर्गा ने सपने में बताया कि तुम्हारे जाल में फंसने वाला पत्थर मेरा ही प्रतीक है. सुबह जब ग्रामीणों को मछुवारे ने यह बात बताया तो ग्रामीणों को विश्वास नहीं हुआ. लेकिन सभी ग्रामीण मछुआरे के साथ तालाब पहुंचे. मछुआरे ने जाल डाला तो उस दिन फिर मछली के जगह वही पत्थर निकला तो ग्रामीणों ने मछुवारे की बात को सच मान कर उक्त पत्थर की स्थापना मां जलेश्वरी के रूप में कर पूजा अर्चना प्रारम्भ किया.
ग्रामीण बताते हैं कि पत्थर की खासियत यह है कि यह जीवंत है और इसके आकार में दिन ब दिन बढ़ोतरी हो रही है. ग्रामीणों की यह मान्यता है कि मां जलेश्वरी पुरे भवनपुरा पंचायत को प्राकृतिक आपदाओं से बचाती है. शारदीय नवरात्र के अवसर पर मंदिर में पहली पूजा से ही कई तरह के धार्मिक आयोजन किये जाते हैं.
पहली पूजा से ही यहां दूर दराज के भक्तों के आने का सिलसिला प्रारम्भ हो जाता है. यहां आने वाले भक्त कभी निराश नहीं होते इसलिए मां का वैभव दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है. शारदीय नवरात्र के अवसर पर यहां भवनपुरा पंचायत के मुखिया विनीत कुमार सिंह उर्फ बंटी सिंह के संयोजकत्व में किया जाता है. विभिन्न आयोजनों में कार्तिक प्रसाद सिंह, सौरव सिंह राजपूत समेत सभी ग्रामीणों कि भागीदारी रहती है.