नवगछिया  – बिहपुर के कोसी तटीय गुवारीडीह बहियार में पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व वाली वस्तुओं के मिलने का सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा. जयरामपुर के ग्रामीण अविनाश कुमार कुमार चौधरी के नेतृत्व में गुवारीडीह बहियार जा कर खोजबीन की गयी. खोजबीन के क्रम में हाथी दांत, मिट्टी का लोटा, चंदन घिसने का चनौटा समेत कई तरह के अवशेष बरामद किया गया. मंगलवार को जनोरतिनिधियों के एक दल ने स्थल का निरीक्षण किया और बरामद सामग्रियों को भी देखा. जनप्रतिनिधियों के दल में धरमपुररत्ती के मुखिया प्रतिनिधि सिंपू सिंह, नारायणपुर के प्रमुख प्रतिनिधि मंटू यादव, पैक्स अध्यक्ष विकास कुमार, राजकुमार, कुक्कू, सुधांशु, अजय, आलोक, चंद्रशेखर, प्रभाष चौधरी, अधिवक्ता अशोक यादव, उदय शर्मा आदि थे. मुखिया प्रतिनिधि सिंपू सिंह, नारायणपुर के प्रमुख प्रतिनिधि मंटू यादव ने मौके से ही प्रखंड विकास पदाधिकारी अकील अंजुम से बात चीत कर मामले की जानकारी दी

गुवारीडीह में लगातार मिल रहे पुरातात्विक और ऐतिहासिक अवशेषों के सहेजने की दिशा में पहल करने की मांग की. इधर ग्रामीण युवक रौशन कुमार और बिट्टू कुमार झा ने कहा कि सरकार को विशेषज्ञों द्वारा उक्त स्थल की खोदाई करवान चाहिए. सामानों को सहेजने वाले अविनाश कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार और प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिये नहीं तो देखते ही देखते गुवारीडीह पूरी तरह से कोसी कटाव में जलविलीन हो जाएगा और एक हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता सदा के लिये जमीदोज हो जाएगी.

कहते हैं इतिहासकार

गजाधर भगत महाविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष इतिहासकार प्रो डॉ अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि अवशेषों के छायाचित्र को देखने से पता चलता है कि यह अवशेष कुशान कालीन हैं. वैसे इस मामले की सूचना महाविद्यालय स्तर से कई विशेषज्ञों को दी गई है. आए दिन स्थलीय जांच कर निष्कर्ष पर पहुंचा जाएगा.

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कहते हैं पुरातत्वविद

रांची विश्वविद्यालय के पुरातत्व एवं संग्रहालय विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर अरविंदो रॉय ने कहा कि बरामद सामानों के छाया चित्रों को देख कर स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि गुवारीडीह में को एक मिली जुली सभ्यता विकसित थी जो कालांतर में किसी कारण वश समाप्त हो गयी होगी. सिक्के को देखने से पता चलता है कि यह सिक्का कम से कम 2400 वर्ष पुराना रहा होगा. उन्होंने कहा कि अनुमान लगाया जा सकता है कि यह सभ्यता चंपा की समकालीन सभ्यता होगी. सिक्के पर पंच मार्क है जिसका प्रचलन एक समय में मगध सभ्यता में था. डॉ अरविंद ने कहा कि यह बात भी तय है कि यह एक बहुत पुरानी सभ्यता है जो कि बहुत लंबे समय तक नियमित थी. वैसे वे पूरे मामले पर विस्तार से अध्ययन करेंगे.

कहते हैं पूर्व विधायक

पूर्व विधायक इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र ने कहा कि बिहपुर विधानसभा का पूरा इलाका ऐतिहासिक है. गुवारीडीह से मिले पुरातात्विक महत्व वाले अवशेष अमूल्य धरोहर के समान है. इस मामले में वे अग्रसर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे.

किवदंतियों में कई बातों की चर्चा

राजीव रंजन, नारायणपुर – किवदंतियों में बिहपुर और आसपास के इलाके के बारे में कई तरह की चर्चाएं हैं अक्सर की जाती है. कभी दादी नानी के राजा रानियों की कहानियों में इलाके के कई गांव की चर्चा होती है तो लोक गाथाओं में भी विभिन्न गांव और कई तरह के स्थलों की चर्चा की जाती है जो आज की पीढ़ी के लिए एक अबूझ पहेली की तरह होती है. वैसे बिहपुर का दस्तावेजी प्रमाण 1857 के सिपाही विद्रोह से मिलता है. लेकिन बाबा विशु राउत की लोकगाथा और बिहुला विषहरी के लोकगाथा में बिहपुर और नवगछिया के कई इलाके की चर्चा है. गुवारीडीह से कई तरह के अवशेष मिलने के बाद इलाके के लोगों में यह चर्चा है कि इस स्थल पर महाभारत काल के कुछ पात्र रहा करते थे. तो कुछ लोग कई तरह के राजाओं का नाम लेकर कहते हैं कि वक्त राजा का यहां पर राज महल हुआ करता था लेकिन यह सभी बातें हवा हवाई है और इसका कोई प्रमाण नहीं है. प्रमाण है तो बरामद हुए पुराने अवशेष जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि यहां पर कभी विकसित रही सभ्यता कितनी पुरानी है. अगर इन अवशेषों का प्रशासनिक और सरकारी स्तर से अध्ययन किया जाए तो निश्चित रूप से इलाके के इतिहास के बारे में कई तरह की नई जानकारी सामने आएगी.