नवगछिया : आज के दिन माघ पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाएगा. ब्रह्मवैवर्तपुराण में उल्लेख है कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं अत: इस पावन समय गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति देता है। इसी प्रकार पुराणों में मान्यता है कि भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं.

इस दिन किए गए यज्ञ, तप तथा दान का विशेष महत्व होता है. भगवान विष्णु की पूजा कि जाती है, भोजन, वस्त्र, गुड, कपास, घी, लड्डु, फल, अन्न आदि का दान करना पुण्यदायक माना जाता है. माघ पूर्णिमा में प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या घर पर ही स्नान करके भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए. माघ मास में काले तिलों से हवन और पितरों का तर्पण करना चाहिए तिल के दान का इस माह में विशेष महत्त्व माना गया है.

माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी संबोधित किया जाता है. इस अवसर पर गंगा में स्नान करने से पाप एंव संताप का नाश होता है तथा मन एवं आत्मा को शुद्वता प्राप्त होती है. इस दिन किया गया महास्नान समस्त रोगों को शांत करने वाला है. इस समय ओम नमः भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते हुए स्नान व दान करना चाहिए.

माघ पूर्णिमा पूजन

माघ पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण जी कि कथा की जाती है भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते व फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल,  मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग किया जाता है. सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, शहद  केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है, इसके साथ ही साथ आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर चूरमे का प्रसाद बनाया जाता है और इस का भोग लगता है. सत्यनारायण की कथा के बाद उनका पूजन होता है, इसके बाद देवी लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की आरती कि जाती है और चरणामृत लेकर प्रसाद सभी को दिया जाता है.

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माघ पूर्णिमा में गंगा स्नान

माघ माह में स्नान, दान, धर्म-कर्म का विशेष महत्व होता है. इस माह की प्रत्येक तीथि फलदायक मानी गई है. शास्त्रों के अनुसार माघ के महीने में किसी भी नदी के जल में स्नान को गंगा स्नान करने के समान माना गया है. माघ माह में स्नान का सबसे अधिक महत्व प्रयाग के संगम तीर्थ का होता है .

माघ पूर्णिमा में मेलों का आयोजन

प्रतिवर्ष माघ माह के समय प्रयाग में मेला लगता है जो कल्पवास कहलाता है प्रयाग में इस अवधि में कल्पवास बिताने की परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसका समापन माघी पूर्णिमा के स्नान के साथ होता है. इस दौरान देश के सभी भागों से आए अनेक श्रद्धालु यहां संगम क्षेत्र में स्नान कर धर्म कर्म के कार्य करते हैं यह कल्पवास पूरे माघ माह तक चलता है जो माघ माह की पूर्णिमा को संपन्न होता है. माघ पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु स्नान, दान, पूजा-पाठ, यज्ञ आदि करते हैं.  माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करने वाले पर भगवान विष्णु कि असीम कृपा रहती है. सुख-सौभाग्य, धन-संतान कि प्राप्ति होती है माघ स्नान पुण्यशाली होता है.