
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बिहार के घोड़ासहन में एक रेलवे ट्रैक पर एक अक्टूबर, 2016 को इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) बरामद होने के मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया है.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!जांच एजेंसी ने इसकी जांच के लिए महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में एक जांच टीम का गठन किया है. एक एनआईए अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर एजेंसी को बताया, “हमें बुधवार को घोड़ासहन मामले की जांच का आदेश मिला. मामले की जांच महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में एनआईए की टीम करेगी. टीम के कुछ सदस्य गुरुवार को बिहार पहुंच गए, जबकि कुछ अन्य बाद में जाएंगे.”
मंत्रालय का यह कदम बिहार पुलिस द्वारा तीन संदिग्ध अपराधियों- मोती पासवान, उमाशंकर पटेल और मुकेश यादव की गिरफ्तारी के बाद आया है. संदेह जताया जा रहा है कि इनके संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के साथ हैं और इनके तार देश में हाल में हुई रेल दुर्घटनाओं से जुड़े हैं.
बिहार पुलिस के मुताबिक, पूछताछ के दौरान तीन आरोपियों ने नेपाली नागरिक ब्रजेश गिरि से पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन में रेलवे ट्रैक पर बम रखने के लिए तीन लाख रुपये लेने की बात स्वीकार की. गिरि के संबंध कथित तौर पर आईएसआई से हैं.
पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान पासवान ने इसका खुलासा किया कि देश में रेल दुर्घटनाओं के लिए उन्हें धन आईएसआई के दुबई स्थित एजेंट शम्शुल हुडा से मिला. हुडा भारतीय मुद्रा के जाली धंधे के कारण कुख्यात है और उसका नेपाल में नेटवर्क है.
बिहार पुलिस का आरोप है कि पिछले साल 20 नवंबर को उत्तर प्रदेश में कानपुर के नजदीक इंदौर-पटना एक्सप्रेस के बेपटरी होने में भी पासवान और उसके सहयोगियों का हाथ है, जिसमें 100 से अधिक यात्रियों की जान चली गई.
एनआईए अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि वह कानपुर ट्रेन हादसे के साथ-साथ 22 जनवरी, 2017 को आंध्र प्रदेश में कुनेरू स्टेशन के पास हीराकुंड एक्सप्रेस के बेपटरी होने के मामले की जांच भी करेगी, जिसमें 41 लोगों की जान चली गई.