राजीव रंजन, नारायणपुर : प्रखंड के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ मणिद्विप दुर्गा मंदिर भ्रमरपुर शक्ति की देवी के रूप में जाने जाते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माॅ की अराधना करते हैं. उसकी मनोकामना पूरी होती है. शारदीय नवरात्र में यहां सप्तमी से बिजयादशमी तक बिशाल मेला लगता है. दुर्गा पूजा के अलावे यहां पर सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां बंग्ला व तांत्रिक पद्धति से पुजा होती है. कलश स्थापना के साथ ही प्रतिदिन हजारों पंडित यहां पाठ करते हैं. दुर्गा मंदिर भ्रमरपुर की स्थापना बीरबन्ना ड्योढ़ी के पुवॆज राजा बाबु बैरम सिंह के द्वारा सत्र 1684 ई में किया गया था 1765 ई में बैरम सिंह के दोस्त जागिरदार मनोरंजन झा ने काली मंदिर के पास से स्थान बदलकर वतॆमान जगह पर किया गया 1973 ई में भ्रमरपुर के ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. इसके पुवॆ मंदिर मिट्टी के दिवाल व फुस के मकान में थे।आज भी ड्योढ़ी बीरबन्ना स्टेट के परिजनों द्वारा अष्टमी को पहली बलि दी जाती है. मंदिर के अंदर गभॆ गृह है. जहां पर कलश स्थापना की जाती है. मेला समिति के सौरव कुमार झुन्ना व नवनीत झा ने बताया यहां हर वषॆ हजारों बाछड के साथ भैसा की भी बलि दी जाती है. यहां खगडिया, मधेपुरा, बांका,भागलपुर,बेगूसराय, पुर्णिया, नवगछिया सहित अन्य जिलों से श्रद्धालु खोईछा देने व मनोकामना के लिए आते हैं । यहां संध्या आरती में एक पुजा से ही लगभग पच्चीस गांवों के लोग शामिल होते हैं. दुर्गा मंदिर में पूजा में मुख्य आचार्य शिक्षक अभिमन्यु गोस्वामी होते हैं. प्रतिमा का बिसजॆन दुर्गा मंदिर परिसर में ही बने पोखर में किया जाता है. मंदिर के पुजारी छोटु गोस्वामी एवं मुखिया प्रतिनिधि सह पुजा समिति के अध्यक्ष मुन्ना मिश्र ने बताया इस बार तीन पुजा से लेकर पांच पुजा तक राज्य स्तरीय बाॅलीवाॅल प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी साथ ही एक पुजा को युवाओं द्वारा नाट्य मंचन व सात पुजा को स्थानीय भजन सम्राट हिमांशु मोहन मिश्र उफॆ दिपक झा के नेतृत्व में जागरण का आयोजन किया जाएगा.