
गोपालपुर : आधुनिकता व मँहगाई के इस युग में कुम्हार समाज के लोगों के समक्ष भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. गृहस्थी की गाड़ी परंपरागत पेशे से नहीं चलने के कारण इस समाज की युवा पीढ़ी अपने पुश्तैनी कारोबार से विमुख होते जा रही है. इस कारोबार से दो जून की रोटी भी मयस्सर नहीं होने से अपने पुश्तैनी कारोबार से मुँह मोड़ने में ही भलाई ही समझते हैं कुम्हार समाज के लोग. कुम्हार समाज से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्त्तमान समय में मिट्टी व लकड़ी खरीद कर मिट्टी के बने बर्त्तनों को पकाना पड़ता है. जिस कारण मजबूरी में ऊँची कीमत पर सामानों को बेचना पड़ता है. फलतः विक्री कम होने से मुनाफा तो दूर लागत मूल्य भी नहीं निकल पाता है. वहीं चाइना निर्मित रंग बिरंगे दीपों व प्लास्टिक सामानों ने कुम्हारों की कमर तोड दी है. मिट्टी व जलावन के अभाव में चाहकर भी कुम्हार परिवार अपने चाक को घुमाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है. हालाँकि दीपावली के इस पर्व में रंगरा व गोपालपुर के कुम्हार परिवार मिट्टी के दीये व अन्य सामान बनाकर घर-घर पहुँचा रहे हैं.