बिहार का सबसे महत्वपूर्ण और लोक आस्था का महापर्व छठ की सोमवार से शुरुआत हो जाएगी। 8 नवम्बर को नहाय खाय है। इसको लेकर रविवार को गंगा घाट पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। छठ व्रत करने वाले श्रद्धालुओं के साथ साथ अन्य लोगों ने भी गंगा में डुबकी लगाए।

गंगा स्नान करने आये श्रद्धालुओं को दलदली होकर आना जाना पड़ा। यानी गंगा स्नान करने के बाद भी उन्हें गंदे कीचड़ से होकर गुजरना उनकी मजबूरी थी। दरअसल गंगा के जलस्तर घटने के बाद दलदली का क्षेत्र बढ़ने लगा है लेकिन अब तक उसको दुरुस्त करने के लिए कोई पहल नही किये जा सके।


विभिन्न क्षेत्रों से गंगा स्नान करने आए लोगों की वजह से विक्रमशिला पुल के टीओपी के पास जाम लगते रहे। इस वजह से कुछ दूर तक विक्रमशिला पुल पर गाड़ियां रेंगती नजर आयी। इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र पहनकर पूजा कर चावल, चना दाल और लौकी की सब्जी बनाया जाता है जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसमें सबसे पहले व्रती भोजन करते हैं फिर परिवार के अन्य सदस्य ग्रहण करते हैं। इतना ही नही इसे प्रसाद के रूप में अपने आसपास के लोगों में भी बांटा जाता है।

महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय से शुरू हो रही है। जबकि दूसरे दिन यानी 9 नवम्बर को खरना है। खरना का खास महत्व है। इस दिन महिलाएं लकड़ी पर गुड़ का खीर और पूरी या रोटी बनाती हैं। तीसरा दिन यानी 9 नवम्बर को छठ का संध्या अर्घ्य के रूप में होगा जिस दिन व्रती निर्जला उपवास रखते हुए छठ का प्रसाद बनाते हैं। शाम के समय नए वस्त्र पहनकर डूबते दीनानाथ को अर्घ्य देते हैं। उनका निर्जला व्रत रात को भी जारी रहता है। चौथे और अंतिम दिन यानी 10 नवम्बर को सुबह के अर्घ्य के रूप में छठ का महापर्व समाप्त हो जाएगा।

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