नवगछिया : गंगा का जलस्तर राेज बढ़ रहा है। बीते 24 घंटे के अंदर छह सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ा है। मंगलवार काे खतरे के निशान से 1.13 मीटर ऊपर गंगा बह रही है। अागे भी बढ़ने की ही संभावना जताई जा रही है। हालत यह है कि अभी तक में बाढ़ अपने सबसे अधिकतम स्तर पर है। जिले में बांध, पुल-पुलिया और सड़क टूटने से मची तबाही की हकीकत जानने के लिए बाढ़ प्रभावित 14 प्रखंडाें में दैनिक भास्कर की टीम ने पड़ताल की। इसमें हैरत करनेवाली हकीकत सामने आई।

पड़ताल में पता चला कि पहली बार बाढ़ सबसे अधिकतम स्तर पर है, ऐसे में जिले के कई नए इलाके में बाढ़ के पानी का दबाव बढ़ गया। इससे उन इलाके के बांध पर पानी का दबाव बढ़ने से वे कटने लगे, लेकिन जल संसाधन विभाग का इन बांधाें की तरफ ध्यान ही नहीं गया। उसकी दशकाें से मरम्मत नहीं की गई। नतीजा, बांध बाढ़ के पानी का दबाव नहीं सह सका और वह ध्वस्त हाे गया। यही वजह है कि कई नए इलाकाें में बाढ़ का फैल गया। जिले के 16 में से 14 प्रखंड बाढ़ से प्रभावित है। इनमें 117 पंचायत और 472 गांव पर बाढ़ का असर है।

इनमें इस्माइलपुर का रिंग बांध, रंगरा का कलबलिया बांध, मदरौनी के पास रिंग बांध शामिल हैं। हालत यह है कि बाढ़ के पानी में तेज बहाव हाेने से फिलहाल उन बांधाें की मरम्मत करने में विभाग लाचार नजर आ रहा है।

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इस्माइलपुर का रिंग बांध

इस्माइलपुर में रिंग बांध करीब 13 वर्ष पहले बना था। जानकारी के मुताबिक करीब दस कराेड़ की लागत से 2008 में इस बांध का निर्माण किया गया था। लेकिन इसके बाद इसकी एक बार भी विभाग की ओर से मरम्मत नहीं की गई। लेकिन इस बार पानी का दबाव बढ़ने से उसमें रिसाव शुरू हाे गया। इसके बाद भी विभाग की नींद नहीं खुली। आखिरकार बांध टूट गया।

रंगरा का कलबलिया बांध

गंगा नदी पर बने इस बांध की भी वर्षाें से मरम्मत नहीं की गई है। हालत यह है कि इस तरफ पानी ज्यादा नहीं आता था, जिस कारण से इसकी विभाग अनदेखी करता रहा। वर्ष 2019 में कुछ जगहाें पर बांध कटा था। इसके बाद ग्रामीणाें ने ही उसे आपसी सहयाेग से दुरुस्त कर लिया। सप्ताहभर पहले इसमें तेज कटाव हाेने लगा ताे ग्रामीणाें ने इसकी सूचना बीडीओ काे दी। इसके बाद भी काेई पहल नहीं की गई और नतीजा, साेमवार काे बांध टूट गया।

रंगरा का रिंग बांध

रंगरा का रिंग बांध काेशी नदी पर है। ये बांध भी वर्षाें पुराना है। लेकिन इसकी लंबे अरसे से मरम्मत नहीं की गई। चार पहले करीब 50 मीटर यह बांध क्षतिग्रस्त हुआ था। लेकिन इसके बाद भी विभाग नहीं जागा। इसकी मरम्मत की मांग ग्रामीण लगातार करता रहा। लेकिन इस इलाके में बाढ़ नहीं आने से विभाग ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। इसके साथ ही इस बार बांध करीब आधा किलाेमीटर तक पूरी तरह से ध्वस्त हाे गया और वहां आसपास के गांव बाढ़ से घिर गए।