नवगछिया : दो दिवसीय संतमत सत्संग के पहले दिन भक्ति, ज्ञान और गुरुचरण की महिमा से अभिसिंचित रहा। सैकड़ों श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचे थे, और पूरा वातावरण गुरुकृपा और संतवाणी से ओतप्रोत था। प्रथम दिवस की संध्या में जब सत्संग समाप्त हुआ। उसी रात एक अप्रत्याशित तेज आंधी और बारिश ने आयोजन स्थल को प्रभावित किया।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

पूरे सत्संग पंडाल की संरचना तेज हवाओं और वर्षा से क्षतिग्रस्त हो गई। तिरपालें फट गईं, बांस और रस्सियों की व्यवस्था ढह गई। सिर्फ मंच ही सुरक्षित रह पाया। गुरुसेवा केवल वाणी से नहीं, कर्म से होती है। कई श्रद्धालु बिना रुके सेवा में लगे रहे, किसी ने तिरपाल समेटे, किसी ने मंच के आसपास की सफाई की, तो कुछ ने आवश्यक वस्तुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की।

यह भाव वास्तव में वहीं है, जिसे संतमत सेवाधर्म के रूप में देखता है। आयोजन समिति के सदस्य डॉ. विकास कुमार, नीरज कुमार, छठु मंडल, प्रमोद मंडल आदि ने कहा इतनी विपदा के बाद यह सब हम सभी ग्रामीणों के सहयोग से ही संभव हो पाया।