नवगछिया: मोहन पोद्दार, राजेंद्र कॉलोनी में मैया का मदिर अपने आप में इलाके में सबसे अगल है इसका इतिहास भी अन्य मंदिर की  इतिहास जैसा है 400 वर्ष पुरानी है पुनामा प्रताप की दुर्गा मैया, जिसकी पूजा अर्चना 1526 ई. में राजा चंदेल के वंशज प्रताप राव ने पुनामा में की थी। यहां बंगलामुखी रीति से पूजा अर्चना की जाती है। जब पुनमा प्रतापनगर में स्थापित मैया का मंदिर भी कोशी के कटाव में विलीन होने होने के कगार था तब वहा के गाँव वासियों ने अपने साथ मैय्या को राजेंद्र कॉलोनी ले आये है और माँ भगवती की ज्योति रूप में  स्थापना की । जो कि आज कई  वर्ष से जलती आ रही है। मंदिर के अन्दर दो बड़े दीप आज भी २४ घंटे जलते आ रहे है,  यहाँ माँ  की पूजा ज्योति के रूप में अस्त्र और सस्त्र के साथ की जाती है |

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हर मंदिर की अपनी व्यवस्था और नियम होते है उसी के अनुसार सब कुछ होता है जैसे कि यहाँ सिर्फ राजपूतो के द्वारा मैया की प्रथम पूजा होती है |  गर्भगृह में सिर्फ राजपूत वंश के लोग ही प्रवेश कर सकतें हैं  वो भी मात्र पाठ करनें के लिए । दूसरा मंदिर में महिला का प्रवेश पूर्णतया वर्जित हैं । कोई भी महिला मन्दिर के अन्दर जा नहीं सकती वो बाहर ही बरामदे पर  पूजा कर सकती हैं ।

मैया के इस दरबार में भगवती साक्षात विराजमान हैं । कहतें हैं कि भगवती भक्तो  की विनती बहुत जल्द सुनती इसलीये राजेंद्र कॉलोनी के लोग लगभग किसी न किसी सरकारी पद पर हैं । नवगछिया शहर में सिर्फ यही मंदिर है जहाँ भी  बलि प्रथा आज भी कायम  है नवरात्र के नवमी व दशमी तिथि को हजारों पाठा की बलि दी जाती हैं । उसके बाद पुरे कॉलोनी में हर घर में प्रसाद का वितरण होता है |