बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को जीत दिलाने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर को करीब एक साल पहले बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया था, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों को छोड़कर प्रशांत किशोर आजकल गायब हैं।
कहा जा रहा था कि बिहार की तरह ही उत्तरप्रदेश में भी अपनी रणनीति को तहत वो कांग्रेस की नैया को पार लगाएंगे। लेकिन अपनी सरकारी जिम्मेदारियां छोड़कर महीनों से गायब प्रशांत किशोर उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेसी राजनीति की गाड़ी को अपने बल पर दौड़ाने में अंततः विफल रहे हैं।
बिहार में प्रशांत किशोर को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है, उनके पद के साथ ही कई सुविधाए जुड़ी हुई हैं, साथ ही वे बिहार विकास मिशन की शासी निकाय के सदस्य भी हैं। इतना ही नहीं, बिहार 2025 विजन डाक्युमेंट तैयार करने के लिए जिस सिटिजन अलाएंस को राज्य सरकार से 9 करोड़ 31 लाख रुपए मिले हैं, वह संस्था भी प्रशांत किशोर के ही जिम्मे है।
खबर है कि न तो विजन डाक्युमेंट का अता-पता है और न ही परामर्शी और बिहार विकास मिशन के कामकाज में प्रशांत का महीनों से कोई योगदान है। बिहार के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में प्रशांत किशोर के इस गैर जिम्मेदाराना व्यवहार की काफी चर्चा है।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश चुनाव में भी कांग्रेस के लिए कुछ कर पाने में विफल प्रशांत वहां भी आलोचना के पात्र बने हुए हैं। विफलता का कारण प्रशांत की राजनीतिक समझ का अभाव होना बताया जा रहा है। दरअसल, वे कांग्रेस की गाड़ी को मुद्दों के ईंधन के बिना ही चलाना चाहते थे।
इससे पहले नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की चुनावी सफलता के पीछे उन नेताओं के लोकलुभावन मुद्दे और मजबूत दलीय गठबंधन थे। अब यह सवाल उठता है कि बिहार की अपनी जिम्मेदारियां छोड़कर गायब प्रशांत किशोर को तलाशकर उन्हें वापस लाया जाएगा।
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