अंग क्षेत्र के कई शिवालय अत्यंत प्राचीन हैं, सावन माह में जलाभिषेक के लिये दूर-दराज से यहां शिवभक्त पहुंचते हैं, सोमवारी को काफी भीड़ होती है 17 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है। भगवान शिव की पूजा अर्चना की तैयारी चल रही है। अंग क्षेत्र के कई शिवालय अत्यंत प्राचीन और लोगों की आस्था व श्रद्धा के केन्द्र हैं। बाबा वृद्धेश्वरनाथ मंदिर, ब्रजलेश्वरधाम, अजगैवीधाम, बटेश्वरनाथ, मनसकामनानाथ मंदिर, गोनूधाम, बांका के कुशेश्वरनाथ मंदिर आदि में जलाभिषेक को भीड़ उमड़ती है। पहली किस्त में बाबा वृद्धेश्वरनाथ मंदिर (बूढ़ानाथ मंदिर) पर रिपोर्ट।.

पहले बाल वृद्धनाथ के नाम से जाना जाता था बूढानाथ मंदिर :

गंगा तट स्थित बूढानाथ मंदिर की स्थापना त्रेता युग में ऋषि वशिष्ठ ने की थी। महाशिव पुराण के चतुर्थ कोटि रुद्र संहिता द्वितीय अध्याय में इन्हें काशी नामक शिवपुरी स्थित गंगातट कृति बासेश्वर जैसे शिवलिंग की आभा स्वरूप ही स्थापित बताया गया है। जिसके स्वरूप बालवृद्ध है।

बाल वृद्धनाथ का ही नाम कालांतर में वृद्धेश्वरनाथ व अपभ्रंश होकर बूढानाथ हो गया है। यह प्राचीन शिवलिंग गंगातट स्थल पर है। गुरु वशिष्ट आयोध्या राजा दशरथ के राजगुरु भी रहे थे। ाषि वशिष्ट का चंपापुरी के निकटवर्ती गंगातट में पड़ाव आश्रम रहा था। इस दौरान उन्होंने वृद्धेश्वरनाथ मंदिर की शिवलिंग की स्थापना की। वर्षों पुराना मंदिर जब जर्जर हो गया तो स्वामी महंथ माधवानंद के समय 1915 में पुन: मंदिर के उसी प्राचीन अवशेष पर सकरपुरा स्टेट (गड़िया के राजा) ने मंदिर का जीर्णोद्धार कर वर्तमान भवन को खड़ा किया। महंथ शिवनारायण गिरि ने कहा कि यहां हर श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी होती है। .

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हर शुभ कार्य से पहले लोग लेते हैं भगवान शंकर का आशीर्वाद:

प्राचीन काल से ही बाबा वृद्धेश्वरनाथ मंदिर (बूढ़ानाथ) आस्था का केंद्र बना हुआ है। भागलपुर के लोग हर शुभ काम करने से पहले मंदिर में जाकर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेते हैं। सावन में यहां हजारों श्रद्धालु रोज विभिन्न जगहों से आकर जलाभिषेक करते हैं। मंदिर प्रबंधक बाल्मिकी सिंह ने बताया कि विश्व कल्याण के लिए सावन में प्रतिदिन रूद्र व दुर्गा पाठ किया जायेगा। मंदिर में कई लोग दूर-दूर से शादी करने यहां पहुंचते हैं। मंदिर के पंडित शिवाकांत मिश्रा ने बताया कि मान्यता है कि यहां शादी करने से दाम्पत्य जीवन काफी सुखमुख होता है। .