बिहार में बारिश और गर्मी की वजह से वायरल बुखार का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसकी चपेट में आकर बड़ी संख्या में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। मुजफ्फरपुर में बुधवार को वायरल बुखार के 65 बच्चे और भर्ती हुए हैं। जिले के दो बड़े अस्पतालों में अब भर्ती बच्चों की कुल संख्या 180 हो गई है। भागलपुर में भी हालात खराब हो रहे हैं। यहां के मायागंज अस्पताल के 80 में से अब तक 70 बेड भर गए हैं। हर दिन 10 से 12 पीड़ित बच्चे सामने आ रहे हैं।

भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में 80 में से 70 बेड पर बच्चे भर्ती हैं।
भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में 80 में से 70 बेड पर बच्चे भर्ती हैं।

SKMCH में 98 तो केजरीवाल अस्पताल में 82 बच्चों का हो रहा इलाज
मुजफ्फरपुर जिले में बुधवार को 40 बच्चे SKMCH में, जबकि 25 बच्चे केजरीवाल अस्पताल में भर्ती किए गए हैं। अब तक 49 बच्चे ठीक होकर घर चले गए हैं। वर्तमान में पीकू वार्ड में 98 बच्चों का इलाज चल रहा है। एक बेड पर दो मरीजों को रखकर इलाज किया जा रहा है। इसमें करीब 60 बच्चे वायरल बुखार, वायरल ब्रोंकोलिस्ट से ग्रसित हैं। अन्य में डायरिया और सर्दी-खांसी के लक्षण हैं।

विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी का कहना है कि बीमार की मुख्य वजह जल जमाव और गर्मी है। पिछले तीन-चार दिनों से जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है। ग्रामीण इलाकों में महीने से जमा पानी गंदा पड़ चुका है। इसमें बच्चे जाते हैं और बीमार हो जाते हैं। परिजनों को फिलहाल कुछ दिनों तक सतर्कता बरतनी होगी। बच्चे को ऐसे पानी में, धूप में जाने से रोकना होगा। मौसम जब अनुकूल हो जाए तो बच्चे को बाहर न भेजें।

निपाह-डेल्टा प्लस के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच के निर्देश
आईडीएसपी के राज्य निरीक्षण पदाधिकारी डॉ रंजीत कुमार ने कहा कि मुजफ्फरपुर के दोनों अस्पतालों के प्रबंधनों से कहा गया है कि बीमार बच्चों की जांच गंभीरता से करें। अगर किसी भी बच्चे में निपाह या डेल्टा पल्स के लक्षण दिखाई दें तो उसकी तुरंत जांच कराई जाए।

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भागलपुर के बच्चे भी वायरल बुखार की चपेट में
भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में शिशु रोग विभाग के एचओडी केके सिन्हा ने बताया कि 80 में से 70 बेड पर बच्चे भर्ती हैं। निकू में 36 बेड हैं, जिसमें 34 भर गए हैं। पिकू खाली है। जब हमारा ICU भर जाएगा, तब आपातकालीन स्थिति में पिकू में बच्चों को भर्ती लिया जाएगा।

डॉक्टर बताते हैं कि अधिकांश बच्चे टायफायड, जोंडिस और इंफ्लुएंजा से पीड़ित हैं। इनमें सांस की समस्या से 20 बच्चे, टेलिसेमिया से 6, डायरिया से 4 और टायफायड से कुल 6 बच्चे प्रभावित हैं। बाकी बच्चे अलग-अलग तरह की बीमारियों की वजह से भर्ती हैं। शिशु वार्ड में अठगामा का आजाद कुमार (9) बुखार से, विराट (1) निमोनिया से, राहुल महतो का तीन दिन का नवजात शिशु निमोनिया से, खैरा का कैफ (5) निमोनिया से, फुन्सिया की करिश्मा (7) बुखार से पीड़ित हैं।

कोरोना की आहट से इनकार
बच्चों के लगातार बीमार होने को देखते हुए कोरोना के तीसरी लहर की आशंका भी व्यक्त की जा रही है। इस पर डॉ केके सिन्हा ने बताया कि ऐसी कोई बात नहीं है। अभी तक किसी भी बच्चे की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव नहीं है। बच्चों का RTPCR टेस्ट और रैप टेस्ट कराया गया, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है।

क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए
भागलपुर में एक्सपर्ट डॉ हेमशंकर शर्मा ने बताया कि बच्चों में वायरल फीवर ज्यादा हो रहा है। यह कोविड नहीं है, बल्कि निमोनिया, चेस्ट इन्फेक्शन, टायफायड और डेंगू है। उन्होंने कहा कि टायफायड और डेंगू को अलग कर दिया जाए तो सारे मामले वायरल फीवर के हैं। इस स्थिति में छोटे बच्चों के स्कूल बंद कर देने चाहिए। बड़े बच्चों को कोविड नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। बच्चों को मास्क जरूरी है और उन्हें भीड़-भाड़ से बचना चाहिए।

input:Bhaskar