
नई दिल्ली ( 31 जनवरी ): मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 का इकोनॉमिक सर्वे संसद में पेश किया। खास बात ये है कि इस साल के इकोनॉमिक सर्वे में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) भी एक चैप्टर है। इकोनॉमिक सर्वे हर साल बजट से पहले पेश किया जाता है और आने वाले बजट के संकेत इसमें मिलते हैं। इकोनॉमिक सर्वे को रिपोर्ट कार्ड कहा जाए तो गलत नहीं होगा। ये सर्वे अर्थव्यवस्ता के बदलाव, पॉलिसी के बदलाव आदि के संकेत देता है। आसान भाषा में इसे बताएं तो ये एक ऐसी स्कीम होगी जिसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को एक निश्चित राशि हर महीने दी जाएगी। चाहें वो कोई काम करें या न करें। खबरों की मानें तो ये रकम परिवार की महिला को दी जाएगी और ये कितनी होगी इसके बारे में अभी कोई घोषणा नहीं हुई है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!इस योजना पर काफी अरसे से काम चल रहा है था। ब्रिटिश अर्थशास्त्री गाय स्टैंडिंग दुनिया में एक न्यूनतम आय दिए जाने को लेकर 1986 से अभियान चला रहे हैं। उन्होंने इसका एक खाका भारत सरकार को भी सौंपा था। वे इस योजना से जुड़े तीन पायलट प्रोजेक्ट से भी जुड़े रहे। यह प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश में दो जगह और पश्चिमी दिल्ली में चलाया गया। इन तीन पायलट प्रोजेक्ट से जुड़े 8 गांवों में 18 महीने तक महिला, पुरुषों और बच्चों को एक न्यूनतम इनकम मुहैया कराई गईय़ पता चला है कि इससे यहां के जीवन स्तर में आश्चर्यजनक सुधार आया।
खासतौर पर बच्चों के खानपान, सेहत, सफाई और स्कूलों में उपस्थिति को लेकर खबर है कि इस योजना का विश्लेषण आगामी आर्थिक सर्वेक्षण का हिस्सा होगा। जिसे भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने तैयार किया है।
कितना बढ़ेगा खर्च..
आंकड़ों की मानें तो भारत में रहने वाले गरीब परिवारों की संख्या 5.3 करोड़ है और अगर हर परिवार को 1000 रुपए महीने भी दिए जाते हैं तो भी 53 हजार करोड़ का खर्च हर महीने बढ़ेगा और ये संख्या सालाना 6,36,000 करोड़ (6 लाख 36 हजार करोड़) पहुंच जाएगी।