नवगछिया: प्रेस विज्ञप्ति : 25, नवम्बर । नोट बन्दी के मुद्दे पर 28 को भारत बन्द पर मेरा मानना है कि बन्द किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि यह समस्या को और बढ़ाता है ।पूर्व देशों में नोटबंदी के दुष्परिणाम को देखते हुए एक तरफ पहले से भारतीय अर्थ व्यवस्था ढहने और आमजनों की हालात त्राहिमाम के कगार पर है वहीं इस मुद्दे पर सत्ता लोलूपता वाले नेताओं की जमात द्वारा भारत बन्दी का ऐलान कदापि उचित नहीं लगता ।हम इनके कतई पक्षधर नहीं हैं इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस तरह के नोटबंदी के समर्थक हैं ।यह एक साहसिक फैसला हो सकता है परंतु इस तरह से जनहित कदापि हो ही नहीं सकता ।मेरी राय है कि भारत बन्दी से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पक्ष और विपक्ष के साथ बैठकर संवाद के माध्यम से जनहित वाला एक सुलभ रास्ता निकालना चाहिए ।क्यों कि अपनी इन आँखों से कई बार हमने देखा है इस तरह की बन्दी में बन्द समर्थकों व असामाजिक तत्वों को उत्पात मचाते हुए और आमजनों सहित छोटे-बड़े सभी दुकानदार भाईयों को खून के आँसू पीते हुए ।
इससे पहले कि बन्द समँथक सड़कों पर उतरे इन्हें रोकने के लिये प्रधानमंत्री मोदी जी को निर्णायक फैसला लेने मे तनिक विलम्ब नहीं करनी चाहिए ।
– गौतम सुमन
(राष्ट्रीय अध्यक्ष)
अंग उत्थानान्दोलन समिति,बिहार-झारखंड सह अंग मुक्ति मोर्चा ।
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