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नवगछिया : आमलोगों का क्या ! दिक्कत तो अब आदत बन गयी है. लेकिन साहब को दिक्कत नहीं होना चाहिये, नहीं तो रिवोल्युसन निश्चित ! वही तो हुआ बिहपुर के रेलवे बाजार में. नवगछिया बाजार हो या खरीक बाजार लोगवार की दिक्कतों की साहब को कहां परवाह है लेकिन जिस दिन साहब को दिक्कत हो गयी न उस दिन दिक्कत सही मायने में आमलोगों के लिए भी दिक्कत मना जायेगा. बिहपुर रेलवे बाजार का हर दुकानदार आज बाजार के ही एक छोटे से कपड़े की दुकान के मालिक को कोसते नजर आ रहा है. कहानी यह है कि साहब चार चक्का वाहन लेकर रेल बाजार में घुसे थे. साहब की गाड़ी थी, रास्ता आमलोगों के सीने से होकर भी गुजरे तो यह वैधानिक होगा. शायद साहब के संविधान में ऐसा प्रावधान भी हो. वस्त्रालय के संचालक का इतना ही दोष था कि साहब की गाड़ी का पहिया जब दुकान के चबूतरे के उपर से गुजरने लगी तो उसने कहा साहब सीने पर ही चढ़ा कर निकल जाओ. साहब तो ताव में आ गए. लेकिन मिट्टी बिहपुरिया है साहब बच कैसे जाते. वस्त्रालय के संचालक ने भी तब साहब को देसी बीट में कई गाने सुनाए. उस समय साहब का वश चलता तो साहब दुकानदार का वहीं हैंग…..डेथ कर देते लेकिन साहब ने दयालुता दिखायी और कार्यालय जाते ही बिहपुर रेलवे बाजार में अतिक्रमण के सर्जिकल स्ट्राइक का आदेश निकाल दिया. दूसरे दिन ही बिहपुर रेल बाजार की सड़क अतिक्रमण से मुक्त हो गया. मैं तो भगवान से प्रर्थना  करता हूं कि जल्द से जल्द साहब को नवगछिया और नारायणपुर बाजार में भी बिहपुर की तरह देसी बीट के गाने सुनने को मिले और ………………..

नोट : मेरे इस आलेख का मकसद मनोरंजन है, कहानी काल्पनिक है, किसी स्थान, पात्र से इसका कोई लेना देना नहीं है. अगर वास्तविक कहानी मेरे आलेख से मिलता जुलता हो तो इसे महज संयोग समझ जाय।

? लेखक: नवगछिया डॉटकॉम के संचालक हैं ।