नवगछिया : नवगछिया नगरह बैसी में आयोजित श्रीशतचंडी महायज्ञ एवं श्रीरामकथा का अंतिम दिवस को प्रातः कल से ही हवन की पूर्णाहुति से परम पूज्य स्वामी आगमानंदजी महाराज के सान्निध्य में आरंभ हुआ. कथावाचक पंडित मानवानंद जी, पंडित उमाकान्तानंद पंडित प्रेमशंकर भारती, आचार्य कौशल जी ने प्रवचन किया. मानवता मानव मंदिर की मंगल शक्ति है. यही एक ऐसा अदृश्य तत्व है जो दृश्य तत्व में मानव को शठता, जड़ता, पशुता, द्वेषता आदि कुत्सित भावों से ऊपर उठकर विवेकशील चेतनात की चिरंतन धर्म कर्म मर्म भाव भूमि पर प्रतिष्ठित करता है. वस्तुतः परमपिता परमात्मा के ही हम सभी जड़ चैतन,जीव अजीव संतान हैं. मानव निखिल विश्व ब्रह्मांड की अनुपम सृष्टि है. मन की एकाग्रता के लिए सर्वप्रथम अपने किसी इष्ट के प्रति अपना समर्पण जरूरी है. जबतक मन मन में अहं का भाव रहेगा तब तक मन एकाग्र नहीं हो सकता. हमारे ग्रंथों में गुरु को ईश्वर और परब्रह्म कहा गया है,क्योंकि ईश्वर भी वही करते है जो गुरु का कर्तव्य है. ग्रंथों में लिखा हैकि “गु” अक्षर अंधकारवाचक है और “रू” प्रकाशवाचक. गुरु का अर्थ है जो अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले चले. सिर्फ ज्ञान देना ही गुरु किरण काम नहीं है, गुरु ही सत्य-असत्य का बोध जगाकर हमारे भीतर विवेक पैदा करता है. मौके पर यजमान उमेश जायसवाल, उषा देवी, मुखिया संजय मंडला, सरपंच पूरनी देवी, मुखिया भरतलाल पासवान, शिक्षक रुपेश कुमार सिंह, नवनीत चौहान,दामोदर यादव, दिनेश झा, सुरज झा, आशीष कुमार, विक्की कुमार एवं अन्य मौजूद थे.
By: मोहन पोद्दार