शिक्षा जगत में “मानिक सर” अक्सर लोगो के जुवान में होती है आज ऐसे ही शिक्षक से आपको रु-ब-रु करवा रह हू ये नाम सुनते ही तुरंत आपके के जहन में शिक्षा की ज्योति प्रज्वलित हो जाती है क्योकि एक शिक्षक का बच्चे के प्रति उत्तरदायित्व शायद उसके माता-पिता से भी कहीं ज्यादा होता हैं. चूंकि बच्चा विद्यालय में केवल शिक्षा ही ग्रहण नहीं करता बल्कि अपने शिक्षकों से जीवन के नैतिक मूल्यों को भी ग्रहण करता है. जहाँ स्कूल टीचर के रूप में शिक्षक बच्चों के कोमल मन को शिक्षित करते हैं वहीं दूसरी तरफ कॉलेज के वातावरण में आप छात्रों से मित्रवत व्यवहार कर बौद्धिक स्तर पर उनके साथ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं|
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!आज “मानिक सर” से मिलने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है जिनके साक्षात्कार से रु-बरु कराने का मौका मुझे मिला है |
प्रो0 मानिक लाल चन्द का जन्म मई १९६३ के नवगछिया शहर में हुआ था उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा की पढाई (गणित ओनर्स १९८१-८३) स्थानीय जीबी कॉलेज नवगछिया से पूरी किये तदोपरांत भागलपुर युनिवेर्सिटी से मास्टर डिग्री (गणित १९८३-८५) प्राप्त किये | उनके करियर की शुरुवात पहली वार आइ०एफ़०सी० में सुपरवाईजर पद से हुई मगर उनका मन हमेशा से ही शिक्षा जगत कि तरफ झुका रहता था इसलिए नौकरी से इस्तीफा देकर दूसरी बार वे बनारसी लाल सर्राफ कॉलेज में करियर की शुरुआत किये |
नवगछिया का शैक्षनिक विकास में उनका एक अतुलनीय योगदान रहा है उनके कुछ शिष्यो के द्वारा जानकारी दी गयी कि आज के इस प्रतिसपर्धा युग में गणित विषय को बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है| इनके पढ़ाने की शैली काफी उर्जावान है एवं मित्रवत व्यवहार रखते है जिससे छात्र को समझने में काफी आनंद आता है मुझे भी गुरुदेव से रु-ब-रु होने का अवसर प्राप्त हुआ है |
मै कोशिश करता रहूँगा कि आगे भी आपको नवगछिया के विकास में योगदान देंने वालो से आपका रु-ब-रु करवाता रंहू | एक प्यारा प्रयास आपको समर्पित | – मोहन पोद्दार