
पुनर्जन्म की बात सुनते ही हमारे ज़हन में कई अजीब ख़याल आते हैं। एक सवाल जो अहम् है वह यह है की जन्म से पहले या मृत्यु के बाद हम किस योनी में होंगे। पर इस आर्टिकल में आज हम बताएँगे की कसी आप इसी जन्म में पता लगा सकते हैं की आप पिछले जन्म में क्या थे और क्या होंगे।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!इस जिज्ञासा को स्वयं की जन्मकुंडली के जरिए दूर किया जा सकता है। यानी जन्मकुंडली यह बता सकती है कि आप पूर्वजन्म में क्या थे और मरने के बाद क्या बनोगे।
ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में चार या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के हों तो उस व्यक्ति ने उत्तम यो*नि भोगकर मनुष्य जन्म लिया है। यदि जन्मकुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा हो तो बालक पूर्वजन्म में धर्मात्मा व्यक्ति होता है। जन्म कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा तुला राशि का हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में भ्रष्टाचारी होता है। सप्तम भाव, छठे भाव या दशम भाव में मंगल की उपस्थिति यह स्पष्ट करती है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में क्रोधी स्वभाव का था।
गुरु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पंचम या नवम भाव में हो तो जातक पूर्वजन्म में संन्यासी था। कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य, पांचवें में गुरु तथा बारहवें में शुक्र इस बात का सूचक है कि वह व्यक्ति पूर्वजन्म में लोगों की मदद करने वाला रहा होगा
अष्टम भाग में शुक्र पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक मृत्यु के बाद वैश्य कुल में जन्म लेता है। कुंडली में कहीं पर भी यदि कर्क राशि में गुरु स्थित हो तो जातक मृत्यु के बाद उत्तम कुल में जन्म लेता है। अष्टम भाव पर मंगल की दृष्टि हो तथा लग्नस्थ मंगल पर निम्न शनि की दृष्टि हो तो जातक नरक भोगता है।
अष्टम भाव को शनि देख रहा हो और अष्टम भाव में मकर या कुंभ राशि हो तो जातक मृत्यु के बाद विष्णु लोक प्राप्त करता है ग्यारहवें भाव में सूर्य-बुध हों, नवम भाव में शनि तथा अष्टम भाव में राहु हो तो जातक मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है।