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नवगछिया तीन ‘क’, केला-कटाव-क्राइम के लिए जाना जाता है. इलाके से गुजरते हुए जल-जमाव के अलावे जो एक जो चीज नजर आती है वो है केले की बर्बाद हुई फसल. केले की बर्बादी से छोटे से लेकर बड़े किसान सभी परेशान हैं. तेतरी-मकंदपुर सड़के के किनारे बसे गोसाईं गांव के निरंजन मंडल ने तीन कट्टे में केले की फसल लगाई थी. निरंजन बताते हैं, ”केले का पूरा बयार डूबिए गया है. हम पर डबल मार पड़ा है. एक तो केले की तैयार फसल डूब गई और दूसरा ये कि खेत में पानी भरा रहने के कारण अब इस मौसम में मैं फिर से केले की रोपनी भी नहीं कर पाऊंगा.”
हालांकि प्रशासन ने प्रति हेक्टेयर साढ़े सत्रह हजार रुपए की दर से केला किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन इलाके के लोग इसे नाकाफी बताते हैं. स्थानीय किसान और जिला पार्षद कोंग्रेस नेता गौरव राय मुताबिक एक हेक्टेयर केले की खेती में कम-से-कम एक लाख रुपए का खर्च आता है. जबकि बड़ी मुश्किल से सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर 17000 रूपये क्षति पूर्ति दी जा रही है. गौरव कहते हैं कि त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है. खासकर केला किसानों के लिए ये त्योहार फीके ही रहेंगे. बहुत मुमकिन है कि इन किसानों में से बहुतों को पैसे की कमी के कारण अपने बेटियों की शादी भी टालनी पड़े.”