गुरमीत तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हो पचास हजार
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!नाम : गुरमीत सीताराम चौधरी
जन्म : 22 फरवरी 1983
प्रसिद्ध शो : रामायण, गीत हुई सबसे पराई, पुर्नविवाह, कोई आप सा, खतरों के खिलाड़ी डर का ब्लाक बस्टर, झलक दिखला जा, नच बलिये आदि
फिल्म : मिस्टर एक्स 2015, खामोशियां 2015, वजह तुम हो 2016.
ऋषव मिश्रा कृष्णा, नवगछिया : घर घर तक पहुंच रखने वाला छोटा पर्दा हो या बॉलीवुड का सिल्वर स्क्रीन गुरमीत चौधरी किसी पहचान के मुहताज नहीं रहे हैं. रामायण के राम के रुप में ही गुरमीत चौधरी ने अपनी पहचान घर घर में बना ली थी. लेकिन इसके बाद गुरमीत का सफर जब देश और दुनियां ने देखा तो दांतो तले उंगली दबा ली. भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल के बिहपुर प्रखंड स्थित जयरामपुर गांव के सीताराम चौधरी के घर जन्मे गुरमीत चौधरी आज इस मुकाम पर अपने मेहनत, लगन और प्रतिभा के बल पर पहुंचे हैं. गुरमीत के पिता आर्मी में थे. इस कारण उन्हें देश के कई हिस्सों में रहना पड़ा. मुख्य गुरमीत की प्रारंभिक शिक्षा गांव में फिर जबलपुर में हुई. इसके बाद गुरमीत ने मुंबई की ओर रुख किया. लंबे संघर्ष के बाद वे मायावी नामक धारावाहिक में काम किया. मायावी के सेट पर ही उन्हें राम का किरदार निभाने का मौका मिला. इसके बाद गुरमीत ने कभी पीछे मुर कर नहीं देखा. छोटे पर्दे पर गीत हुई सइसे परायी, पति पत्नी और वो, पुर्नविवाह जैसे सिरीयल से छोटे पर्दे के बड़े स्टार के रुप में पहचान बनायी. उन्हें छोटे पर्दे का किंग आफ रोमांश, एंग्री यंग मैन कहा जाने लगा. झलक दिखला जा के पांचवे सीजन में गुरमीत और देवीना की जोड़ी ने अपने डांस और एक्सन का लोहा मनवाया और विनर बने. वर्ष 2015 में मिस्टर एक्स से गुरमीत ने बड़े पर्दे पर इंट्री ली. इस फिल्म में उनके आयटम नंबर डांस की सबों ने सराहना की. फिर 2016 में हारर थ्रीलर फिल्म खामोशियां में गुरमीत ने अपने आपको साबित किया. वर्ष 2016 के दिसंबर माह में हैकिंग, लाइव मर्डर पर आधारित थ्रीलर फिल्म वजह तुम हो में एट पैक्स को लेकर चरचा में रहे. इस फिल्म में वे युवा अधिवक्ता की भूमिका में थे. गुरमीत ने प्रभात खबर के साथ बात चीत में कहा कि बचपन में उनके नाना ने उनका नाम शशि क पूर रखा गया था. बचपन में ही तय कर लिया था कि उन्हें हीरो बनाना है. बचपन की यादों को साझा करते हुए गुरमीत ने कहा कि कक्षा में शिक्षक सभी बच्चों से पूछ रहे थे कि उन्हें बड़े हो कर क्या बनाना है. कॉमन सा जवाब आ रहा था डाक्टर इंजिनयर. लेकिन जब उनकी बारी आयी तो उन्होंने कहा कि वे हीरो बनाना चाहते हैं. 12 वीं करने के बाद जबलपुर में मिस्टर जबलपुर प्रतियोगिता का आयोजन किया था. गुरमीत कहते हैं उनके पिता ने उन्हें कहा कि अगर वे इस प्रतियोगिता में जीत सकते हैं तो वे फिल्मों में भी जा सकते हैं. गुरमीत ने मिस्टर जबलपुर प्रतियोगिता में भाग लिया और मिस्टर जबलपुर भी बने. इसके बाद उनके पिता ने उन्हें मुंबई जाने के लिए सहमती दी. गुरमीत के पिता सीताराम चौधरी वर्तमान में अपने पैतृक गांव जयरामपुर के अलावा बिहार के ही पूर्णियां जिला में निवास करते हैं. गुरमीत ने कहा कि आज जिस मुकाम पर हैं इसके पीछे उनके माता, पिता, भाई, परिवार के सभी सदस्य के अलावा उनकी पत्नी देवीना की मुख्य भूमिका हैं. बता दें कि देवीना गुरमीत के साथ रामायण में सीता के रोल में थी. गुरमीत की तरह ही देवीना छोटे व बड़े परदे पर सक्रिय हैं. भागलपुर पटना व बिहार के अन्य छोटे शहरों के युवकों के लिए गुरमीत यूथ आईकॉन बन चुके हैं. गुरमीत के प्रशंसकों को उनसे काफी उम्मीदें हैं.
नोट : लेखक नवगछिया डॉट कॉम के संपादक और प्रभात खबर नवगछिया के ब्यूरो हैं।