नवगछिया : कौन कहता है कि ताजमहल सिर्फ शाहजहां ने ही बनवाया है, नजीर ने भी अपनी बानो की याद में ताजमहल बनवाया है! बानो की कब्र के बगल में ही अपनी कब्र बनाने के लिए जगह छोड़ी है ताकि जिंदगी के बाद भी दोनों का साथ बना रहे।

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प्यार की अनोखी दास्तां: पत्नी की चिता के पास ही पति ने भी दे दी जान

मोहब्बत कि कई कहानी सुनने को मिलती है। कोई हीर-रांझे की कहानी सुनाता है तो कोई शाहजहां और मुमताज की। शाहजहां ने अपनी पत्नी की याद में ताजमहल बनवाया तो बिहार में माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी की मौत के बाद पर्वत का सीना चीर कर रास्ता बना दिया। ऐसी ही एक नजीर पेश की है बिहार के भागलपुर जिले के डॉक्टर नजीर आलम ने।

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नजीर आलम और हुस्न बानो की शादी 57 साल पहले हुई थी। चार साल पहले दोनों हज करने गए थे। लौटकर तय किया कि जिसकी मृत्यु पहले होगी उसका मकबरा घर के आगे बनेगा। ये उनके सपनों का ताजमहल होगा। उन्होंने इसे जुबानी वसीयत के रूप में अपने बच्चों को भी बता दिया। दो साल बाद 2015 में हुस्न बानो की मौत हो गई।

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हुस्न बानो कि मौत के बाद नजीर टूट से गए थे, लेकिन अपना वादा निभाते हुए घर के आगे मोहब्बत की निशानी ताजमहल बनवाया। यह ताजमहल दो साल में बनकर तैयार हुआ। इसमें नजीर ने अपनी पूरी कमाई लगा दी। वे कहते हैं कि हम तो रोज कमाने-खानेवालों में हैं, इसलिए मकबरा बनाने में सारी पूंजी लगा दी। इसे बनाने में पत्नी के नाम से जमा पैसे और अपनी बचत भी बैंक से निकालकर लगा दी है। उनके बच्चों ने भी इसे बनवाने में मदद की।

नजीर की मोहब्बत की निशानी की बात पूरे क्षेत्र के लोगों की जुबान पर है। लोग इसे प्रेम कि अद्भुत मिसाल बता रहे हैं।