भागलपुर। गंगा नदी पर विक्रमशिला सेतु के समानांतर बनने वाले फोरलेन पुल के निर्माण पर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आइडब्ल्यूएआइ) ने रोक लगा दी है। आइडब्ल्यूएआइ ने तकनीकी तौर पर यह व्यवस्था की है कि पुल के पूरे हिस्से का स्पैन सौ मीटर फासले का होना चाहिए। इस मानक को पूरा किए बगैर निर्माण की अनुमति नहीं मिलेगी। अब पुल की निविदा नए सिरे से करने की नौबत आ गई है। यह फैसला ऐसे समय में आया जब पुल निर्माण को लेकर निविदा की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। काम शुरू करने की तैयारी थी, पर अब मामला अटक गया। 50 मीटर के फासले पर स्पैन बनाने की योजना थी।

तकनीकी व्यवस्था का आधार तकनीकी व्यवस्था का आधार पर्यावरण व वाणिज्यक है। कहा गया है कि अगर पुल के स्पैन का फासला सौ मीटर से अधिक नहीं होगा तो उससे मालवाहक जहाज नहीं गुजर सकेंगे। पानी का बहाव भी सही तरीके से होगा और अपेक्षाकृत गाद कम जमा होगा। अक्सर देखा जाता है कि जहां पुल बनता है वहां मुख्यधारा में स्पैन का फासला सौ मीटर तो कर दिया जाता है पर मुख्यधारा से अलग स्पैन का फासला पचास मीटर ही रखा जाता है। पर्यावरण की दृष्टि से यह उचित नहीं।

निर्माण एजेंसी 400 करोड़ रुपये अतिरिक्त मांग रही फोरलेन पुल के लिए चयनित एजेंसी कह रही है कि उसे अगर सौ मीटर स्पैन पर डिजायन कर पुल बनाना होगा तो चार सौ करोड़ रुपये अधिक चाहिए। इस राशि को लेकर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से सहमति नहीं है।

पुल निर्माण में उपयोग में आनेवाली मिट्टी व पत्थरो की शुरू हो गई थी जांच

मिनिस्ट्री आफ रोड ट्रांसपोर्ट हाईवे (मोर्थ) ने विक्रमशिला सेतु के समानांतर पुल बनाने के लिए चयनित एजेंसी एलएंडटी से डेढ़ माह पहले जून में ही एग्रीमेंट किया था। वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिल गया था। अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने का इंतजार था। एनओसी जल्द मिलने की उम्मीद पर निर्माण एजेंसी ने पुल निर्माण में उपयोग आने वाली मिट्टी और पत्थरों की जांच शुरू की दी थी। फरवरी में टेंडर अवार्ड किया गया था, जिसके बाद मोर्थ के कार्यपालक अभियंता सहित दो पदाधिकारियों की भागलपुर में तैनाती की गई थी। मोर्थ का कार्यालय भी खोला गया है। पुल निर्माण का निर्धारित लक्ष्य 2025 तक रखा गया है। पुल सहित पहुंच पथ के निर्माण पर 838 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

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भू-अर्जन की प्रक्रिया अंतिम चरण में 4.455 किलोमीटर लंबे फोरलेन पुल का निर्माण बरारी श्मशान घाट की ओर विक्रमशिला सेतु से 50 मीटर दूर बनना है। 68 पाये वाले पुल के दोनों ओर फुटपाथ बनाना है। नवगछिया की ओर 875 मीटर और भागलपुर की ओर 987 मीटर पहुंच पथ बनना है। पुल के लिए 21.3 हेक्टेयर भू-अर्जन की कार्रवाई अंतिम चरण में है। 255 रैयतों को भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई लगभग पूरी हो चुकी है। 51 एकड़ में 10 एकड़ सरकारी जमीन है। भू-अर्जन में 59 करोड़ रुपये खर्च होंगे। निर्माण एजेंसी खुद ही पुल का डिजाइन भी बनाना है। अगले 10 साल तक पुल का संरक्षण भी करना है।

मंत्री की आइडब्ल्यूएआइ की चल रही वार्ता निर्माण एजेंसी एलएंडटी के अधिकारी ने बताया कि भूतल परिवहन एवं सड़क मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी को सारी बातों से अवगत करा दिया गया है। इसपर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों से मंत्री की वार्ता चल रही है। जल्द ही इस समस्या का हल निकलने की उम्मीद है।

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पुल की चौड़ाई 29 मीटर, लंबाई 4.455 मीटर, सड़क की लंबाई 9.50 किलोमीटर