हौसले के आगे गरीबी दम तोड़ देती है। यही वजह है कि ठेला चलाने वाले और सड़क किनारे अंडा-चाऊमिन बेचने वालों के बच्चे अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने जा रहे हैं। भागलपुर जिले के चार बच्चे अंतरराष्ट्रीय कराटे चैंपियनशिप के लिए चयनित हुए हैं।

ये चारो काफी गरीब घर से हैं। प्रिंस (13 वर्ष) और गणेश (11 वर्ष) के पिता दीपक मंडल परबत्ती में ठेला लगाकर अंडा और चाऊमिन बेचते हैं। वहीं उत्तम कुमार(16) के पिता रंजन राम रेकाबगंज के ठेला चलाते हैं। एक अन्य खिलाड़ी मानव(11) के पिता मुन्ना यादव उर्दू बाजार के कपड़ा का फेरी लगाता है। इन सब का चयन इस अंतर्राष्ट्रीय मैच के लिए हुआ है।

शुल्क लगता तो बच्चे सीखने नहीं जा पाते

दीपक मंडल ने कहा कि किलकारी में शुल्क नहीं लगता है, इसलिए चारो बच्चे सीख लेते हैं। वह जहां ठेला लगाते थे वहां से भी हटा दिया गया है। अभी वह पूरी तरह बेरोजगार हैं। शुल्क लगता तो बच्चे सीखने नहीं जा पाते। उनकी पत्नी स्वीटी देवी ने कहा कि सभी बच्चे छोटे से सीखना चाहते हैं। इसलिए वह मना नहीं करतीं। कहा कि लड़कियां सीखती हैं तो उनकी आत्मरक्षा के लिए भी काफी अच्छा है। उन्होंने कहा कि बच्चों में जुनून है तो उसे भला कौन रोक सकता है।

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रेकाबगंज नया टोला निवासी 12वीं के छात्र उत्तम कुमार(16 वर्ष) के पिता रंजन राम ठेला चलाते हैं और मां मुन्नी देवी गृहणी है। चार भाई बहनों में उत्तम ही सिर्फ कराटे सीखते हैं। काफी गरीब घर से होने के बाद भी उत्तम में लगन की कमी नहीं है।

इसी लगन ने उन्हें आज अंतरराष्ट्रीय मैच तक पहुंचाया। मुन्नी देवी ने कहा कि बेटा कुछ मांगता तो है नहीं सिर्फ नाम कमाता है। रंजन राम ने कहा कि बेटे की खुशी में ही हमारी खुशी है। बच्चा अच्छा कर ले यही हमारी तमन्ना है।