बिहार में अप्रैल महीने से तमाम तरह की आपात स्थिति के लिए समेकित हेल्पलाइन नंबर 112 की शुरुआत होने जा रही है. किसी आपात स्थिति में पुलिस, अग्निशमन, एंबुलेंस और ट्रैफिक से जुड़ी सेवा सिर्फ इस एक नंबर को डायल करके प्राप्त की जा सकती है. यह नंबर पूरे राज्य में एक सामान रूप से काम करेगा और किसी भी तरह की मुसीबत में फंसा कोई व्यक्ति कहीं से इस पर फोन करके सेवा प्राप्त कर सकता है.

डायल 112 सेवा के शुरू होने से लोग इस पर वॉयस कॉल, एसएमएस, इ-मेल, पैनिक एसओपी रिक्वेस्ट और वेब रिक्वेस्ट के माध्यम से किसी आपात स्थिति में बचाव के लिए सूचना दे सकेंगे. बिहार में इस परियोजना को दो चरणों में लागू किया जायेगा.

केंद्र सरकार ने दिल्ली में दिसंबर, 2012 में हुई निर्भया कांड के बाद नेशनल इमर्जेंसी रिस्पांस सिस्टम (एनइआरएस) के गठन की अनुशंसा की थी. गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को भी इससे संबंधित प्रणाली विकसित करने के लिए कहा था. बिहार में इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए पिछले चार-पांच वर्षों से कवायद चल रही है, लेकिन कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए जमीन की समस्या समेत अन्य कई कारणों से अब तक यह शुरू नहीं हो पायी है.

इस बार पुलिस मुख्यालय ने इसे अप्रैल से शुरू करने की बात कही है. अब इसका राज्य स्तरीय सेंट्रल कमांड सेंटर और कंट्रोल सेंटर अस्थायी रूप से पटना के राजवंशी नगर में मौजूद बिहार पुलिस रेडियो परिसर में बनेगा. सभी जिलों में एक को-ऑर्डिनेशन सेंटर स्थापित किया जायेगा, जो जिला स्तर पर समन्वय स्थापित करेगा.

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पुलिस मुख्यालय के स्तर से जारी सूचना के अनुसार, बिहार में इस परियोजना को दो चरणों में लागू किया जायेगा. पहले चरण में 400 वाहनों की खरीद इमर्जेंसी रिस्पांस व्हीकल-इआरवी के तौर पर होगी. इसे लेकर एक कॉन्ट्रैक्ट पर भी हस्ताक्षर किये जा चुके हैं, जिसके तहत 23 मार्च, 2022 तक वाहनों की सप्लाइ कर दी जायेगी.

डायल 112 के लिए बने विशेष किस्म के इआरवी वाहनों में मोबाइल डाटा टर्मिनल लगा रहेगा, जो जीपीएस से काम करेगा. इसमें एक डिसप्ले सिस्टम होगा, जिसमें किसी घटना के बारे में जानकारी आने पर उस स्थल तक का पूरा रूट मैप अंकित होगा. इसके आधार पर वहां तक पहुंचने का पूरा रूट मैप ट्रैक भी होगा. इसकी एक्शन टेकेन रिपोर्ट भी वापस कंट्रोल सेंटर के पास मिलेगी. इसमें शिकायतकर्ता से फीडबैक लेने की भी व्यवस्था रहेगी.