बिहार की स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर योजना अब पूरे देश में लागू होगी। गुरुवार को देशभर के ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में बिहार की इस योजना की जमकर तारीफ हुई। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने योजना की तारीफ करते हुए कहा कि देश के अन्य राज्य भी बिहार की तर्ज पर प्रीपेड मीटर लगाएं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मेलन से जुड़े बिहार ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि राज्य में अब तक 20 लाख से अधिक प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।
रैंकिंग मानकों में बदलाव हो

सम्मेलन के दौरान बिहार के ऊर्जा मंत्री ने देशभर की बिजली कंपनियों की हो रही रैंकिंग पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित है। कुल उपभोक्ताओं में 80 फीसदी गरीबी रेखा से नीचे वाले हैं। औद्योगिक कनेक्शन की संख्या बहुत कम है। ऐसे में सभी बिजली बिल देने की स्थिति में नहीं होते। इस कारण नुकसान होना स्वाभाविक है। बावजूद इसके बिहार ने कई मानकों में अपनी स्थिति में सुधार किया है। इसलिए बिहार को अलग श्रेणी में शामिल कर रैंकिंग की जानी चाहिए।

एक देश- एक बिजली दर हो लागू: बिजेंद्र

बिहार ने एक बार फिर केंद्र सरकार से एक देश- एक बिजली दर लागू करने की मांग की है। मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने तर्क दिया कि कैसे देश के अन्य राज्यों में पहले बिजली घर बनने से उनको सस्ती बिजली मिल रही है जबकि बाद के वर्षों में बिजली घर बनने के कारण बिहार को महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मेलन में भाग लेते हुए ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिहार विभाजन के बाद राज्य के हिस्से में मात्र 420 मेगावाट का हिस्सा आया। बिजली के मामले में बिहार सभी मानकों पर निचले पायदान पर था। स्थिति में सुधार के लिए राज्य सरकार ने हजारों करोड़ निवेश किये।

नए-नए बिजलीघर बनाए गए, लेकिन इन बिजली घरों से बिहार को महंगी बिजली मिल रही है। जबकि पहले से बनी बिजली इकाइयों से देश के अन्य राज्यों को सस्ती बिजली मिल रही है। बिजली वितरण व्यवस्था को एक करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से तीन लाख करोड़ से अधिक की योजना लाए जाने का स्वागत करते हुए मंत्री ने कहा कि यह तभी सार्थक होगा जब एक देश एक बिजली दर लागू हो।

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सम्मेलन में बिजली कंपनी के सीएमडी संजीव हंस, एमडी संदीप कुमार आर पुडकलकट्टी और संजीवन सिन्हा भी शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि अधिक दाम पर बिजली लेने के कारण बिहार को हर साल हजारों करोड़ अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं। साल 2018-19 में खरीदी गई बिजली की दर का ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार देश में बिजली खरीद का औसत मात्र 3.60 रुपए प्रति यूनिट है।

राष्ट्रीय औसत की तुलना में ओडिशा को 89 पैसे प्रति यूनिट सस्ती बिजली मिल रही है। जबकि बिहार प्रति यूनिट राष्ट्रीय औसत से 52 पैसे अधिक बिजली खरीद रहा है। ओडिशा से ही तुलना करें तो बिहार 1.35 रुपए प्रति यूनिट अधिक दर पर बिजली खरीद रहा है। यह केंद्र की असमान नीति के कारण सीधा-सीधा राज्य कोष पर बोझ है।

बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा, ‘माल भाड़ा समानीकरण की नीति के कारण अविभाजित बिहार (अब झारखंड) से कोयला देश के सभी राज्यों में एक दर पर गए। इस कारण उन राज्यों में अधिक उद्योग लगे जहां समुद्री सीमा थी। कोयला होने के बावजूद लैंडलॉक्ड राज्य बिहार में उद्योग कम लगे। सरकार ने जब कोयला की दर एक समान कर दी है तो फिर बिजली दर क्यों नहीं।’