लोकसभा चुनाव में लगातार राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। एक तरफ भागलपुर सीट एनडीए के घटक दल जदयू की झोली में चली गई है, लेकिन अभी तक उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं हुई है।

वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन में दरार की बात सामने आ रही है। अगर महागठबंधन टूटता है तो कांग्रेस भी भागलपुर लोकसभा से चुनाव लड़ सकती है। कांग्रेस की प्रदेश कमेटी ने यहां से संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट पहले ही मांगी थी। जिला से आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवारों की सूची भेजी गई थी। इनमें कहलगांव के विधायक सदानंद सिंह, विधायक अजीत शर्मा, प्रवीण सिंह कुशवाहा, शंभु दयाल खेतान, कांग्रेस जिलाध्यक्ष शाह अली सज्जाद, अनामिका शर्मा के नामों की सूची भेजी गई थी। अगर महागठबंधन टूटता है तो इनमें से किसी को कांग्रेस चुनाव मैदान में उतार सकती है। हालांकि अब होली के बाद ही स्थिति स्पष्ट होने की संभावना है। जानकार बताते हैं कि कांग्रेस 11 सीट लेने के लिए अड़ी हुई है। जबकि राजद इसके लिए राजी नहीं हो रहा है। खासकर, दरभंगा, मधुबनी और सुपौल सीट को लेकर मामला अटका हुआ है। इसके लिए दिल्ली में लगातार हाईकमान की मीटिंग चल रही है। कांग्रेस की सीट से पप्पू यादव भी लड़ना चाह रहे हैं। जबकि राजद के तेजस्वी यादव इसको लेकर तैयार नहीं हो रहे हैं।

बांका के लिए नाम की घोषणा को करना होगा थोड़ा इंतजार

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भागलपुर सीट से अब तक कहकशां परवीन व अबु कैसर समेत दो-तीन और लोगों के नाम की चर्चा चल रही है। इसको लेकर जदयू नेतृत्व लगातार आपसी मंत्रणा करने में जुटा है। उसकी नजर भी महागठबंधन पर है। महागठबंधन टूटने पर कांग्रेस और राजद के कुछ उम्मीदवार भी इधर-उधर हो सकते हैं। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि महागठबंधन की तस्वीर साफ पर होली के बाद ही जदयू की ओर से भागलपुर सीट के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा की जाएगी। जबकि जदयू ने बांका से एमएलसी मनोज यादव को चुनाव लड़ाने का मन बना लिया है। लेकिन वहां के लिए भी नाम की घोषणा संभवतया होली के बाद ही की जाएगी।

महागठबंधन टूटने से दिलचस्प हो जाएगी इस बार चुनाव की लड़ाई

महागठबंधन टूटता है तो भागलपुर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण बदल सकता है। कारण यह है कि कांग्रेस के महागठबंधन के अलग होने से वामदल भी राजद से अलग हो जाएगा। ऐसी स्थिति में नए राजनीतिक समीकरण बनेंगे। कांग्रेस के उम्मीदवार खड़े होने पर राजद के वोट बैंक में ही वह सेंध लगाएगा। साथ ही इसको देखते हुए ही जदयू भी उम्मीदवार खड़ा करेगा। राजद को भी नई रणनीति बनाकर चुनावी मैदान में उतरना होगा। जदयू को महागठबंधन के टूटने से लाभ मिल सकता है। वहीं कांग्रेस इस लड़ाई को और दिलचस्प बना देगी।