कोसी पार लोकमानपुर एवं सिहकुंड में कोसी नदी द्वारा भीषण कटाव जारी है। यह कटाव लोकमानपुर के बालू टोला के समीप एवं सिहकुंड में सिमरतल्ला बालू टोला समेत कई अन्य जगहों पर तेज गति से हो रहा है। नदी गांव के बिल्कुल समीप से बह रही है।

कटाव में सिहकुंड के शम्भू मेहता का बासा कट कर नदी में समा चुका है। जबकि कई घर एवं बिजली का ट्रांसफार्मर कटाव के मुहाने पर है। जिस कारण लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त है। ग्रामीणों के अनुसार यहां की मिट्टी सख्त रहने के कारण ही गांव का अस्तित्व अभी तक बचा हुआ है। अन्यथा जिस रफ्तार से कटाव हो रहा है उसमे ं पूरा गांव नदी के आगोश में समा गया रहता। ग्रामीणों ने बताया कि अगर शीघ्र यहां फ्लड फाइटिंग का कार्य शुरू कर कटाव की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगाया गया तो गांव का अस्तित्व नहीं बचेगा। वहीं लोकमानपुर के बालू टोला के समीप हो रहे कटाव में भी कोई कमी नहीं आ रही है। धीरे-धीरे गांव के करीब नदी पहुंच रही है। नदी एवं गांव के बीच की दूरी काफी कम बची है। जिस कारण लोग भयभीत हैं।

दादपुर में स्लूइस गेट से हो रहा है पानी का रिसाव

ढोडिया दादपुर पंचायत के गोपालपुर में कोसी नदी से सुरक्षा के लिए बनाये गये जमींदारी तटबंध के बीच में स्लूइस गेट है। जिससे पानी का रिसाव शुरू हो गया है। यह जानकारी देते हुए पंचायत के उपमुखिया ई. चंदन यादव ने बताया कि अगर शीघ्र पानी के रिसाव को बंद नहीं किया गया तो सैकड़ों बीघे में लगे केला, मकई आदि फसल डूब जाएगा।

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हरिओ पंचायत के कोसी पार वार्ड नंबर चार के गांव कहारपुर में कोसी का भीषण कटाव जारी है। कोसी कटाव के रौद्र रूप को देखकर ऐसा लगता है कि गांव के अस्तित्व को खत्म करके ही छोड़ेगा। मंगलवार की अल सुबह करीब चार बजे स्व. राजीव रंजन सिंह का एक पक्का मकान कोसी ने निगल लिया। हालांकि घर को लोगों ने खाली कर दिया था। उधर दक्षिण दिशा से कोसी बड़ी तेजी से जमीन को काट कर आगे बढ़ रही है। अब कटाव के मुहाने पर सनातन सिंह, कैलाश शर्मा, जोबनी शर्मा, फुलेश्वर शर्मा व लूचो शर्मा का घर है। जो अब मात्र 10 फीट की दूरी पर खड़ा है। लोग अपने ही हाथों से अपने घर को तोड़कर हटाने पर मजबूर हैं और घर के सामान को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटे हैं। जिन लोगों का घर कोसी में समा गया है। वह दूसरों के खाली घर में रहने को विवश हैं या गांव छोड़कर बाहर निकल गये हैं। ग्रामीण कोसी कटाव से भयभीत रतजगा करने को विवश है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है।