नवगछिया : इस बार बाजारों में नवगछिया की मीठी लीची के तेवर चढ़े हुए हैं. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लीची के बाजार भाव में दोगुने से भी ज्यादा उछाल आया है. पिछले वर्ष लीची के मौसम की शुरुआत होते ही बाजारों में इसका भाव ₹30 से लेकर ₹50 प्रति सैकड़ा था लेकिन इस वर्ष बाजारों में लीची का भाव ₹80 से लेकर ₹120 प्रति सैकड़ा है. इस कारण अधिकांश लोग इस बार जमकर लीची का आनंद नहीं ले पा रहे हैं. बागानों में भी पिछले वर्ष ₹30 से लेकर ₹30 प्रति सैकड़ा लीची मिल रही था लेकिन इस बार बागानों में भी ₹60 से लेकर ₹80 प्रति सैकड़ा मिल रही है.

इस बार नवगछिया और आसपास के बागानों में लीची की फसल अच्छी नहीं थी. पैरों पर लीची का फलन काफी कम हुआ था. कम लीची होने की वजह से बाजारों में आपूर्ति के हिसाब से लिखी नहीं आ पा रही है जिसके कारण भाव ज्यादा है. वर्तमान में नवगछिया और आसपास के बाजारों में देसी प्रजाति की लीची देखी जा रही है. कुर्सेला निवासी लीची व्यवसाई विनोद कुमार चौधरी ने कहा कि उन्होंने लत्तीपुर के बागान से लीची की खरीददारी की है और जीरोमाइल में खुदरा तौर पर लिखी बेच रहे हैं.

हालांकि वे कुर्सेला बाजार में लीची बिक्री करने के लिए खरीदारी की थी लेकिन नवगछिया से कुरसेला तकलीफ जी ले जाने में अतिरिक्त व्यय हो जाएगा इसलिए वह जीरोमाइल में ही लीची बेच रहे हैं. तेतरी के लीची विक्रेता युगल कुमार, दिलखुश कुमार, संजय कुमार ने बताया कि इस बार उन लोगों को ज्यादा मुनाफा भी नहीं हो पा रहा है क्योंकि महंगे दाम में लीची खरीदने के बाद वह लोग प्रति सैकड़ा 10 से ₹20 मुनाफा ही कमा पा रहे हैं.

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जमुनिया के लीची व्यवसाई मोहम्मद अनवारूल ने बताया कि देसी लीची 4 से 5 दिनों तक ही बाजारों में रहने वाला है. इसके बाद समय मनराजी प्रजाति की लीची का आ जाएगा लेकिन इलाके के बागानों में मनराजी लीची भी पिछले वर्ष की तुलना में 5 फीसदी भी नहीं है. ऐसी स्थिति में लीची के शौकीन लोगों को मायूस होना पड़ सकता है.