बिहार में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. संक्रमण ने कुछ ही दिनों के अंदर सूबे के कइ जिलों को चपेट में ले लिया. राजधानी पटना सहित कई जिलों में कोविड मरीजों का इलाज कर रहे अस्पतालों के बेड फुल हो चुके हैं. वहीं ऑक्सीजन और रेमडेसिविर दवा की अभी सबसे अधिक मांग है. दोनो की किल्लत अभी सूबे में है. जिसके बाद पटना हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार को कई सख्त निर्देश दिये हैं और संक्रमण से बचाव के लिए किए गए उपायों की रिपोर्ट भी मांगी है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पटना हाइकोर्ट ने कोरोना संक्रमण से सूबे के बिगड़े हालात को गंभीरता से लिया है और जजों के खंडपीठ ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन, दवा या अस्पताल में बेड की कमी के कारण अगर किसी की जान जाती है तो ये मानवाधिकार का उल्लंघन माना जायेगा. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से ऑक्सीजन की उपलब्धता का रिपोर्ट मांगा है. वहीं बिहटा स्थित ईएसआई अस्पताल को फौरन चालू करने का निर्देश भी केंद्र सरकार को दिया. जिसके बाद सेना के 5

डॉक्टर और 15 नर्सिंग स्टाफ की टीम वहां पहुंच गई है.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मामले पर चर्चा करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर दवा कितनी कारगर है और ये कितनी जरुरी है. इस दौरान पटना एम्स के निदेशक भी वर्चुअल तरीके से मौजूद थे. उन्होंने बताया कि रेमडेसिविर दवा कोरोना के इलाज के लिए नहीं है. उन्होंने कहा कि इस दवा को केंद्र सरकार ने कोविड प्रोटोकॉल में भी सलाह में शामिल नहीं किया है. इस बयान को जज के खंडपीठ ने रिकॉर्ड किया और स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख को यह निर्देश दिया कि वे एम्स निदेशक से बात करके फाइनल रिपोर्ट पेश करें कि ये दवा कोरोना के इलाज में कितनी कारगर है.

गौरतलब है कि सूबे में राजधानी पटना समेत कई जिलों में मरीजों के बढ़ते तादाद के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत शुरू हो गई. जिसके बाद सरकार ने ताबड़तोड़ बैठकों में कई फैसले लिए. झारखंड से टैंकरों में तरल ऑक्सीजन बिहार लाया गया. जिसके बाद परिस्थिति पर नियंत्रण का प्रयास जारी है. वहीं सरकार ने बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट चालू कराने का फैसला किया है.