बिहार के कटिहार जिला निवासी शुभम कुमार ने प्रतिष्ठित सिविल सर्विसेज परीक्षा, 2020 में शीर्ष स्थान हासिल किया है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने परीक्षा के परिणाम शुक्रवार को जारी किए। जागृति अवस्थी और अंकिता जैन ने क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है। जमुई जिले के प्रवीण कुमार ने सातवीं रैंक हासिल की है। किशनगंज जिले के अनिल बसाक को 45वीं रैंक हासिल हुई है। खास बात यह कि शुभम, प्रवीण और अनिल तीनों आईआईटियन हैं। परीक्षा में कुल 761 उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए हैं जिनमें 545 पुरुष और 216 महिलाएं हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर शुभम को बधाई दी है। यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार कटिहार जिले के कदवा प्रखंड के कुम्हरी गांव के रहने वाले हैं। आईआईटी मुंबई से बीटेक कर चुके प्रवीण 2019 में इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विस में चयनित हुए थे। फिलहाल पुणे में वह ट्रेनिंग ले रहे हैं। शुभम के पिता देवानंद प्रसाद सिंह उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक, पूर्णिया के शाखा प्रबंधक हैं। शुभम ने पूर्णिया से दसवीं की पढ़ाई की है। 12वीं बोकारो से किया है। इसके बाद आईआईटी, मुंबई गए। देवानंद सिंह ने कहा कि शुभम की कड़ी मेहनत से उसे सफल बनाया है।  टॉपर बनना निश्चित रूप से गौरव की बात है। शुभम की मां पूनम देवी गृहिणी हैं। शुभम को एक बहन हैं सुरभि। रिजल्ट आने के बाद से उनके घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।


21 साल बाद बिहार से टॉपर

इससे पहले वर्ष 2000 में ऑलोक झा टॉपर बने थे। वहीं, 1997 में गया के सुनील कुमार बरनवाल ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया था। 1987 में आमिर सुबहानी ने टॉप किया था, जो अभी बिहार के विकास आयुक्त हैं। अभी तक बिहार के चार मेधावियों ने यूपीएससी में शीर्ष स्थान हासिल किया है। बता दें कि सिविल सर्विसेज परीक्षाओं का आयोजन प्रति वर्ष यूपीएससी तीन चरणों में करता है, जिनमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार शामिल हैं। इन परीक्षाओं के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) सहित कई अन्य सेवाओं के लिए उम्मीदवारों का चयन होता है।

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चकाई के प्रवीण को सिविल सेवा में सातवीं रैंक

यूपीएससी में सातवां रैंक लाने वाले प्रवीण कुमार जमुई जिले के चकाई के रहने वाले हैं। आईआईटी कानपुर से पासआउट प्रवीण 2018 में भारतीय रेल सेवा के लिए चुने गए थे। अभी वडोदरा में उनकी ट्रेनिंग चल रही है। प्रवीण ने हिन्दुस्तान से कहा, समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहता था। जमीनी स्तर पर जाकर बेहतर काम करने के लिए आईएएस बनने की ख्वाहिश थी। यही वजह रही कि सिविल सेवा में आने के लिए मेहनत की। किस्मत अच्छी रही कि रैंकिंग भी शानदार आ गयी। संतुष्टि है कि मेहनत को किस्मत का साथ मिला।

प्रवीणके पिता सीताराम वर्णवाल दवा की दुकान चलाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रवीण बचपन से मेधावी थी। जसीडीह के रामकृष्ण मिशन से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। मैट्रिक और इंटर सीबीएसई से करने के बाद आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की। सिविल सेवा में दूसरे प्रयास में सफलता मिली है। प्रवीण की सफलता से मां वीणा वर्णवाल, बड़े भाई धनंजय वर्णवाल, बहन दीक्षा वर्णवाल, चाचा रामेश्वर लाल वर्णवाल गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

आर्थिक दुश्वारियों को मात दे सफल हुए अनिल

किशनगंज शहर के नेपालगढ़ कॉलोनी निवासी अनिल बसाक को 45वीं रैंक मिली है। अनिल का यह तीसरा प्रयास था। दूसरे प्रयास में 616वीं रैंक मिली थी। अनिल के पिता बिनोद बसाक कपड़े की फेरी लगाकर गांव-गांव बेचते थे। अनिल चार भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं। अनिल के पिता की माली हालत ऐसी नहीं थी कि वे देश के प्रतिष्ठित यूपीएससी जैसे परीक्षा में शामिल होते। आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी अनिल बसाक ने हार नहीं मानी। अनिल बसाक ने बताया कि उनके पिता, सुभाष वर्मा सर व जयशंकर सर ने यूपीएससी की तैयारी के लिए प्रेरित किया। अनिल ने आठवीं तक की पढ़ाई किशनगंज शहर के ओरियेंटल पब्लिक स्कूल से, वर्ष 2011 में अररिया पब्लिक स्कूल से मैट्रिक, 12वीं बाल मंदिर सीनियर सेकेंड्री स्कूल किशनगंज से पूरी की। अनिल ने दूरभाष पर बताया कि वे दूसरे प्रयास में सफल हुए थे, लेकिन और भी बेहतर रैंक के लिए उन्होंने इस वर्ष भी प्रयास किया और सफल हुए। सच्ची लगन व ईमानदारी से किये गये प्रयास से हर हाल में सफलता मिलती है।