लोकतंत्र के यज्ञ में वोट का मंत्र जरूरी है, इसलिए एक खगड़िया के एक परिवार ने पहले वोट देने का फैसला किया, फिर दाह संस्कार करने श्मसान की ओर निकले. जानकारी के अनुसार तेताराबाद के 70 वर्षीय रामशकल सिंह की मौत सोमवार की शाम हो गयी. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. घर वालों ने मंगलवार को इनका दाह-संस्कार कराने का निर्णय लिया.

कल (सोमवार) से ही परिवार के सदस्यों का हाल बेहाल था. गम में हर बात भूल गये थे. ना खाने-पीने की फिक्र थी और ना सोने की चिंता. घर में मंगलवार की अहले सुबह से ही बुजुर्ग के दाह-संस्कार की तैयारी चल रही थी. अंतिम यात्रा के लिए चचरी बनाकर उसे फूलों से सजाया गया. घर के दूसरे सदस्य दाह-संस्कार के लिए सात मन लकड़ी खरीद कर ले आये. इनके रिश्तेदार भी आ चुके थे. अंतिम यात्रा की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी थी, लेकिन गम के इस माहौल में भी इस पीड़ित परिवार को लोकतंत्र के महापर्व याद रहा. उन्हें यह याद रहा कि मंगलवार को लोकसभा के चुनाव है. उनका भी एक वोट महत्वपूर्ण है. इसलिए उनका मतदान में भाग लेना जरूरी है.

मतदान की सुबह एक ओर जहां घर पुरुष सदस्य दाह-संस्कार की तैयारी में जुटे रहे. वहीं, दूसरी ओर घर की महिलाओं ने मतदान केंद्र पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया. महिला सदस्य के मतदान के बाद घर के पुरुष सदस्यों ने भी मध्य विद्यालय तेताराबाद में बने मतदान केंद्र पर पहुंचकर अपना वोट गिराया. इसके बाद श्मसान घाट पहुंचकर अपने परिजन का दाह-संस्कार किया.

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हालांकि, मतदान में शामिल होने की वजह से दाह-संस्कार में थोड़ा विलंब भी हुआ, लेकिन घर के सभी सदस्यों को मन की संतुष्टि मिली. परिवार के सदस्य सुदामा देवी, विभा देवी, हीरा देवी, दुर्गा देवी, रविद्र कुमार, रामानंद सिंह, दशरथ सिंह, सिकंदर सिंह, श्याम सुंदर सिंह, गिरीश कुमार ने अपने-अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने की बात कही. कहा कि पिता/चाचा का दाह-संस्कार करना उनका धर्म है, तो लोकतंत्र के महापर्व में भाग लेना भी परम कर्तव्य है. इस जिम्मेवारी से हमलोग कैसे पीछे हट जाते.