वट सावित्री व्रत 10 जून यानि कल है. हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिनें अपने अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं. इस पर्व की खास रौनक उत्तर भारत में देखने को मिलती है. मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था. आइए जानते है वट सावित्री व्रत, शुभ मुहूर्त, व्रत नियम, पूजा विधि और इससे जुड़ी पूरी जानकारी…

कोरोना महामारी में कैसे करें पूजा

अपने घर पर ही त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा कर सकते हैं.

बरगद के पेड़ की टहनी तोड़ कर उसे गमले में लगा लें.

इसके बाद विधिवत इसकी पूजा करें.

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पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल और धूप का इस्तेमाल करें.

इसके बाद सबसे पहले वट वृक्ष की पूजा करें.

इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा सुने और दूसरों को भी सुनाएं.

अब फिर भीगा हुआ चना, कुछ धन और वस्त्र अपनी सास को देकर आशीर्वाद लें.

पूजा के बाद किसी जरूरतमंद विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें.

इसके अलावा, किसी ब्राह्मण को वस्त्र और फल भी दान कर सकते हैं.

वट सावित्री पूजा विधि

शादीशुदा महिलाएं अमावस्या तिथि को सुबह उठें, स्नानादि करें.

लाल या पीली साड़ी पहनें.

दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार करें.

व्रत का संकल्प लें

वट वृक्ष के नीचे आसन ग्रहण करें.

सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित करें.

बरगद के पेड़ में जल पुष्प, अक्षत, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित करें.

कम से कम 5 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें और उन्हें रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद प्राप्त करें.

फिर पंखे से वृक्ष को हवा दें

हाथ में काले चने लेकर व्रत की संपूर्ण कथा सुनें

वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त

वट सावित्री व्रत कल दिन गुरुवार को रखा जाएगा. यह व्रत अमावस्या तिथि को रखा जाता है. अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी और 10 जून को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी. व्रत का पारण 11 जून को किया जाएगा.

वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री

बांस की लकड़ी से बना बेना (पंखा), अक्षत, हल्दी, अगरबत्ती या धूपबत्ती, लाल-पीले रंग का कलावा, सोलह श्रंगार, तांबे के लोटे में पानी, पूजा के लिए सिंदूर और लाल रंग का वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए, पांच प्रकार के फल, बरगद पेड़ और पकवान आदि.

वट सावित्री व्रत पूजा विधि

वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखे.

इसके बाद कपड़े के दो टुकड़ों से ढक दें.

एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखें

फिर वट वृक्ष पर जल चढ़ा कर कुमकुम, अक्षत चढ़ाएं

इसके बाद सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर उसके सात चक्‍कर लगाए.

पूजा करने के बाद चने गुड़ का प्रसाद बांटे.

इसके बाद सावित्री व्रत कथा सुनें