आज से चैत नवरात्र की शुरुआत हो गई है। 14 अप्रैल तक चलने वाले इस नवरात्र के लिए शहर से लेकर गांव के मंदिरों को सजाया गया है। शहर के निराला नगर पास स्थित दुर्गा मंदिर को बेहतर ढंग से रंग-रोगन कर सजाया गया है। चैत्र नवरात्र में 9 दिनों तक मां की अराधना करने का विधान है। इसके लिए कई मंदिरों में सत्संग तथा विशेष पूजा का कार्यक्रम बनाया गया है। इस वर्ष का नवरात्र रवि पुष्य योग व तंत्र-मंत्र साधना के लिए विशेष फलदायी है। इसमें दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सबसे शुभ फलदायी होगा। नवरात्र वह समय है,जब दो ऋतुओं का मिलन होता है। इस संधि काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के रूप में हम तक पहुंचती हैं। मुख्य रूप से हम चैत्र नवरात्र एवं आश्विन नवरात्र को ही जानते हैं। अश्विन नवरात्र जहां ठंड के मौसम की शुरुआत में आता है वहीं, चैत्र नवरात्रि गर्मी के मौसम की शुरुआत करता है यह लोकप्रिय धारणा है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान उपवास का पालन करने से शरीर आगामी गर्मी के मौसम के लिए तैयार होता है।

7, 9, 10 व 12 अप्रैल को बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग

चैत्र नवरात्र आज से शुरू हो रहा है। नवरात्र में चार सर्वार्थ सिद्धि योग,एक रवि पुष्य योग भी बन रहा है। रवि पुष्य योग तंत्र-मंत्र साधना के लिए विशेष फलदायी होता है। चैत्र नवरात्र 14 अप्रैल तक रहेगा। मां की आराधना के इस नौ दिवसीय उत्सव में 7,9,10 और 12 अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि का योग बन रहा है। पंडित द्यानद पाण्डेय ने बताया कि आश्विन नवरात्र की तरह चैत्र नवरात्र में भी मां दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्र का प्रारंभ शनिवार से होगा।

कलश स्थापना के साथ अखंड ज्योति दीप व दुर्गा सप्तशती पाठ का है महत्व

घर की शुद्धि और खुशहाली के लिए घट स्थापना की जाती है। जो ब्रह्मांड का प्रतीक है और इसे पवित्र स्थान पर रखा जाता है, मां कमाख्या ज्योतिष सेवा संस्थान के आचार्य पंडित रंजन उपाध्याय ने बताया कि नवरात्रि की अखंड ज्योति घर और परिवार में शांति का प्रतीक है। इसलिए, यह जरूरी है कि आप नवरात्रि पूजा शुरू करने से पहले देसी घी का दीपक जलातें हैं। यह आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में मदद करता है और भक्तों में मानसिक संतोष बढ़ाता है। वहीं दुर्गा सप्तशती शांति,समृद्धि, धन और शांति का प्रतीक है और नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान दुर्गा सप्तशती के पाठ को करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है। 15 अप्रैल को दशमी व एकादशी है। इस दिन विशेष पूजा होगी।

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नवरात्रि के दौरान तिथिवार बनने वाले योग

6 अप्रैल – प्रथम तिथि – वैधृति योग

7 अप्रैल – द्वितीय तिथि – सर्वार्थ सिद्धि योग

8 अप्रैल – तृतीय तिथि – रवि योग

9 अप्रैल – चतुर्थी तिथि – सर्वार्थ सिद्धि योग

10 अप्रैल – पंचमी तिथि -सर्वार्थ सिद्धि योग

11 अप्रैल – षष्टी तिथि – रवि योग

12 अप्रैल सप्तमी – सर्वार्थ सिद्धि योग

14 अप्रैल-महानवमी-सर्वार्थ सिद्धि एवं रविपुष्य योग

12 अप्रैल से होगी महाअष्टमी, 13 अप्रैल की सुबह 11: 48 तक रहेगी।

14 अप्रैल को सुबह 9:27 बजे तक महानवमी का है शुभ संयोग