वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल करने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर का नामांकन खारिज कर दिया गया है.

तेज बहादुर यादव को वाराणसी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया था. मालूम हो कि मंगलवार को जिला निर्वाचन कार्यालय ने तेज बहादुर यादव से चुनाव आयोग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लाकर जमा करने का निर्देश दिया था.

इस प्रमाणपत्र को जमा करने के लिए तेज बहादुर यादव को एक दिन का समय दिया गया था. यह प्रमाणपत्र उन्हें 1 मई को सुबह 11 बजे तक जमा करना था. प्रमाणपत्र जमा ना करने की स्थिति में उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया.

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इस बारे में तेज बहादुर यादव का कहना है कि नामांकन के समय उनसे इस तरह के किसी भी प्रमाणपत्र की मांग नहीं की गयी थी. अगर मेरे नामांकन फोरम में किसी भी तरह की कमी थी तो मुझे उसी वक्त बताना चाहिए था.

उन्होंने आगे कहा, मंगलवार तीन बजे जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा मुझसे अनापत्ति प्रमाणपत्र जमा करने के लिए बुधवार 11 बजे तक का समय दिया गया, जो किसी भी कीमत पर संभव नहीं है.

उन्होंने कहा, इससे यह बात साफ दिख रही है कि प्रधानमंत्री मोदी जी का निर्वाचन कार्यालय पर दबाव है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह नहीं चाहते कि मैं यहां से उन के खिलाफ चुनाव लड़ूं.

गौरतलब है कि नौ जनवरी, 2017 को हरियाणा के रेवाड़ी के तेज बहादुर यादव ने सेना में परोसे जा रहे भोजन को सार्वजनिक कर पूरे देश का माहौल गरमा दिया था.

यादव ने कुछ वीडियो पोस्ट किये थे, जिनमें सिर्फ हल्दी और नमक वाली दाल और साथ में जली हुई रोटियां दिखाते हुए खाने की गुणवत्ता पर उन्होंने सवाल उठाये थे.

वीडियो में उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा समेत कई स्थानों पर इस प्रकार का खाना दिया जाता है और कई बार जवानों को भूखे पेट सोना पड़ता है.

वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीएसएफ से मामले पर विस्तृत रपट मांगी थी. इस बीच तेजबहादुर ने वीआरएस के लिए आवेदन किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया. उन्हें निर्देश दिया गया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वह बीएसएफ नहीं छोड़ सकते.

इसके विरोध में तेज बहादुर राजौरी स्थित मुख्यालय में भूख हड़ताल पर बैठ गए थे. 19 अप्रैल को तेज बहादुर को बीएसएफ से बर्खास्त कर दिया गया. उन पर सीमा सुरक्षा बल का अनुशासन तोड़ने को लेकर जांच की गयी थी.