पटना : बिहार बोर्ड के नाम अब कई कीर्तिमान हैं. उदाहरण के लिए उसने सबसे कम समय (परीक्षा के 28 से 30 दिन के अंदर) अप्रैल में ही मैट्रिक एवं इंटर का रिजल्ट घोषित कर देश भर में अभूतपूर्व कीर्तिमान रचा है. प्री-प्रिंटेड उत्तर पुस्तिकाओं का चलन और पेपर पैटर्न से जुड़े बदलाव देश के किसी भी राज्य के परीक्षा बोर्ड के लिए प्रेरणा बन गयी है.

ऐसा रातों-रात नहीं हुआ है. इसके पीछे योजनाकार और प्रशासक के रूप में बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर का दिमाग

15-16 राज्यों के एक्सपर्ट से ली गयी थी राय

– बोर्ड की सफलताओं के पीछे की पृष्ठभूमि क्या रही?

मैंने अपना कार्यकाल 2017 में शुरू किया था. क्या सुधार करने चाहिए, इसको जानने के लिए अगस्त, 2017 में एक काॅन्क्लेव कराया. देश के करीब 15-16 राज्यों के परीक्षा बोर्ड के एक्सपर्ट आये. हमने उनकी खूबियां जानीं. अपनी कमजोरियां परखीं. फिर रणनीति बनायी.

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– शानदार रिजल्ट की वजह?

पेपर पैटर्न बदला, जिसमें ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों की संख्या बढ़ायी. लघु एवं दीर्घ प्रश्नों में शत-प्रतिशत आंतरिक और बाह्य विकल्प देकर परीक्षार्थियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया.

– बिहार बोर्ड की छवि सुधारने के लिए क्या-क्या प्रयास किये?

परीक्षा केंद्रों को सुरक्षित बनाया. किसी भी कीमत पर नकल नहीं करने दी गयी. प्रश्नपत्र भी दस सेटों में दिये गये. इससे नकल की आशंका पर विराम लग गया.

– जल्दी और त्रुटि शून्य रिजल्ट निकालने के आधार क्या बना?

बिहार बोर्ड ने अपने खुद के सॉफ्टवेयर विकसित किये. परीक्षा केंद्रों पर कंप्यूटर्स के जरिये डाटा कलेक्ट किया गया. ऑब्जेक्टिव टाइप उत्तरों के लिए अलग से ओएमआर शीट बनवायी गयी. सॉफ्टवेयर के चलते महीनों चलने वाला मूल्यांकन कुछ दिनों में खत्म हो गया.

– विद्यार्थियों को कोई खास सौगात देने जा रहे हैं?

अब उनकी मार्क्सशीट को क्यूआर कोड के जरिये कहीं भी देखा जा सकेगा. जल्द एक सॉफ्टवेयर ऑनलाइन कर दिया जायेगा, जिससे लोग अपनी 20-25 साल पुराना मार्कशीट कहीं भी देख और ले पायेंगे. इसके लिए ऑफिस नहीं आना होगा.

– बिहार बोर्ड कोई और रिफॉर्म करने जा रहा है?

बोर्ड अगले छह माह में डिजिटल मोड पर होगा. सभी सेवाएं इस मोड पर रहेंगी. इस दिशा में हम मॉड्यूल बनाकर काम करेंगे. यह कवायद इंटरप्राइज रिफॉर्म एंड प्लानिंग के तहत होगी.

– अब कौन सी चुनौतियां हैं?

सबसे बड़ी चुनौती शीर्ष पर पहुंच कर उसे बनाये रखने की है. मैं चाहता हूं कि बिहार बोर्ड सेल्फ मोड में हो, ताकि भविष्य में इसकी व्यवस्थाएं दिशाहीन न हों.

– बच्चों को अच्छे मार्क्स आये हैं, इसका उन्हें फायदा मिल सकेगा?

बिल्कुल, वे दिल्ली और देश के बेहतर शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पा सकेंगे