आंगनबाड़ी सेविकाएं पंचायत का चुनाव नहीं लड़ पाएंगी, लेकिन जनवितरण प्रणाली के लाइसेंसी दुकानदारों की बल्ले-बल्ले रहने वाली है। डीलरों के चुनाव लड़ने पर कोई पाबंदी नहीं रहेगी। पंचायत चुनाव के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2016 में भी यह व्यवस्था लागू की थी। इस बार के चुनाव में भी यह व्यवस्था लागू रहने की बात कही जा रही है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार आंगनबाड़ी सेविकाएं पंचायत निकायों व ग्राम कचहरी के पदों के लिए चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। इतना ही नहीं पंचायत के अधीन मानदेय-अनुबंध पर कार्यरत पंचायत शिक्षा मित्र,न्याय मित्र,विकास मित्र व अन्य कर्मी भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। विशेष शिक्षा परियोजना, साक्षरता अभियान, विशेष शिक्षा केंद्रों में मानदेय पर कार्यरत अनुदेशकों के भी चुनाव लड़ने पर पाबंदी होगी। पंचायत के अधीन मानदेय पर कार्यरत दलपतियों के भी चुनाव लड़ने पर रोक रहेगी।

केंद्र या राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकार से पूर्णत: या आंशिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यरत, पदस्थापित व प्रतिनियुक्त शिक्षक, प्रोफेसर व शिक्षकेतर कर्मचारियों के भी चुनाव लड़ने पर पाबंदी होगी। कार्यरत होमगार्ड भी चुनाव लड़ने से वंचित रहेंगे। इसके अलावा सरकारी वकील (जीपी), लोक अभियोजक (पीपी), सरकारी वकील जो सरकार द्वारा प्रतिधारण शुल्क (रिटेनर) पर नियुक्त किए जाते हैं। सहायक लोक अभियोजक वेतनभोगी सेवक हैं, लिहाजा वे भी पंचायत के पदों पर अभ्यर्थी नहीं हो सकते। इन श्रेणियों के व्यक्ति अगर नामांकन करते हैं तो स्क्रूटिनी के दौरान निर्वाची पदाधिकारी उनका नामांकन रद्द कर देंगे।
ये लड़ सकते हैं चुनाव
जनवितरण प्रणाली के लाइसेंसधारी विक्रेता और कमीशन एजेंट चुनाव लड़ सकते हैं। इसके अलावा रिटायर्ड सरकारी सेवक, काम नहीं कर रहे होमगार्ड भी पंचायत का चुनाव लड़ पाएंगे। केवल शुल्क पर नियुक्त होने वाले सहायक सरकारी अधिवक्ता (एजीपी) और अपर लोक अभियोजक (एडिशनल पीपी) पंचायत चुनाव में अभ्यर्थी बन सकते हैं।