नवगछिया : नवगछिया के रसलपुर रेलवे ढाला नंबर 12 ए पर ग्रामीण वर्षों से समपार फाटक देने की मांग कर रहे हैं लेकिन ग्रामीणों की मांग पर अब तक रेल प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की सुध नहीं ली गयी है. कई ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए कहा कि रोजाना रसलपुर ढ़ाला होते हुए सैकड़ों वाहन गुजरते हैं. जब तक सिंगल रेल लाइन था तो ट्रेनों का परिचालन कम था. लेकिन रेलवे ट्रेक के दोहरीकरण हो जाने के बाद ट्रेनों की आवाजाही अत्यधिक बढ़ गयी है. जिससे हर वक्त र्दुघटना की आशंका बनी रहती है. ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द समपार पर फाटक लगाने की व्यवस्था रेलवे द्वारा कियाजाना चाहिए. चालक को गार्ड ने रोका था रसलपुर रेल ढाला के पास हुए हादसे के समय ढाला पर कई प्रत्यक्षदर्शियों की मौजूदगी थी. प्रत्यक्ष दर्शियों ने बताया कि जब अप ट्रेक की ओर देखते हुए ट्रेक्टर का चालक ट्रेक पार कर रहा था तो उस समय गार्ड ने डाउन ट्रेक की ओर से आ रहे ट्रेन की ओर इशारा किया  किया था लेकिन चालक नहीं समझ पाया. टेलर पर मिट्टी लोड रहने के कारण वह रुकने की भी स्थिति में नहीं था. तभी लगभग 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा के रफ्तार से आ रहे अवध असम एक्सप्रेसके चपेट में ट्रेक्टर आ गया.

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यात्रियों ने कहा

अवध असम डाउन एक्सप्रेस पर सवार यात्रियों ने बात चीत के क्रम में कहा कि जब नवगछिया पश्चिम केबिन के पास ट्रेन रुक गयी तब जा कर उन लोगों को पता चला कि ट्रेन हादसे का शिकार हो गयी है. यात्रियों ने बताया कि उन लोगों को टक्कर के समय न तो कोई झटका लगा और न ही किसी तरह का अनुभव हुआ. हालांकि उन लोगों ने एक जोरदार आवाज जरूर सुनी थी. मालूम हो कि यात्रियों को करीब डेढ़ घंटे तक निर्जन स्थल पर ट्रेन खुलने का इंतजार करना पड़ा.

ग्रामीणों ने कहा हुई जोरदार आवाज

रसलपुर ढ़ाला के आस पास रहने वाले ग्रामीणों ने कहा कि उन लोगों ने जैसे ही जोर दार आवाज सुनी तो घर से बाहर निकल कर देखा तो ट्रेक पर रेलगाड़ी खड़ी थी. वे लोग जब पास गये तो उन लोगों को सारी बात समझ में आ गयी. इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ स्थल पर जुट गयी थी.

ट्रेक्टर के चालक ने कस कर पकर लिया पहिया प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि जैसे ही ट्रेन ने ट्रेक्टर में धक्का मारा तो चालक ने तुरंत इंजन में फंस गया पहिया कस कर पकड़ लिया. लेकिन ट्रेन के इंजन में फंसे ट्रक के कई भाग टूट रहे थे. चालक संभल नहीं पा रहा था. अंतत: करीब डेढ़ सौ मीटर दूर पर वह फेंका चला गया. वह रेल  ट्रैक के ठीक बगल में गिरा

ट्रेन जाने के बाद पहुंची साहायता एक्सप्रेस

जब रेल कर्मियों, आरपीएफ और जीआरपी के कर्मियों द्वारा अवध असम एक्सप्रेस में फंसे ट्रेक्टर के मलवे को निकाल कर परिचालन के लायक बना दिया और ट्रेन नवगछिया स्टेशन से खुल गयी तब जा कर कटिहार से भेजी गयी सहायता एक्सप्रेस ट्रेन नवगछिया पहुंची.

गूलो के घर पसरा मातमी सन्नाटा

ट्रेन हादसे में मारे गये उजानी निवासी मो गूलो के मौत के घर उसके घर में मातम का माहौल है. मालूम हो कि अपने चार भाईयों में मो गूलो उर्फ अफरोज दूसरे नंबर का था. ट्रेक्टर भी अपरोज के नाम से ही था. गांव के लोगों ने बताया कि अफरोज काफी मेहनती था. उसने मेहनत से कभी जी नहीं चुराया. वह अविवाहित था. गूलो के पिता, मां और भाई का रो रो कर बुरा हाल था. देर शाम शव का पोस्टमार्टम करवा कर पुलिस स्तर से परिजनों को सौंप दिया गया है. मामले की प्राथमिकी नवगछिया राजकीय रेल थाने में दर्ज कर ली गयी है.