
नवगछिया : साइबर थानाध्यक्ष मनोज कुमार को आईजी विवेक कुमार ने सस्पेंड कर दिया है। आईजी के योगदान देने के बाद यह पहली बड़ी कार्रवाई हुई है। मनोज कुमार पर आरोप है कि वह बिना बताए और अवकाश लिए ही पटना चले गए थे। इस दौरान साइबर थाने में किसी तरह की शिकायत को लेकर आम लोगों के जाने पर अनदेखी कर दी जाती थी। कहा जाता था कि थानाध्यक्ष नहीं हैं। इसकी शिकायत पर नवगछिया एसपी ने डीएसपी से जांच कराया तो पता चला कि वह 31 मार्च को ही पटना चले गए हैं। एक अप्रैल को जब थाने में जांच के दौरान ओडी पदाधिकारी की खोज शाम 6.40 में की गई तो वहां कोई नहीं थे।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!थाने के रजिस्टर में चेक करने पर पता चला कि मनोज कुमार की ड्यूटी है। उनसे दूरभाष पर जांच अधिकारी ने संपर्क किया तो पता चला कि वह अवकाश में नहीं हैं। इसके बाद जांच अधिकारी ने एसपी को अपनी रिपोर्ट दी, एसपी ने आईजी को रिपोर्ट भेज दी। इसके बाद आईजी ने रिपोर्ट के आधार पर सस्पेंड करने की कार्रवाई की। इसमें आईजी ने लिखा है कि बिना स्वीकृत अवकाश व अनुमति के पटना जाना गलत है। यह उनके कर्तव्य के प्रति मनमानेपन, लापरवाही, कर्तव्यहीनता एवं एक अच्छे पुलिस पदाधिकारी के विपरित आचरण को दर्शाता है। इस लापरवाही के लिए निलंबन किया गया है। निलंबन की अवधि में इनका मुख्यालय पुलिस केंद्र नवगछिया होगा। आईजी ने बताया कि लापरवाही की शिकायत आई थी, इसके बाद जांच रिपोर्ट देखकर एक्शन लिया गया।
दौड़ने के बाद लेते हैं केस जानकारी के अनुसार इन दिनों साइबर ठगी के मामले बढ़े हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लुभावने विज्ञापन देखकर इसके झांसे में आ जाते हैं और अपना बैंक खाता खाली करवा लेते हैं। इसके बाद साइबर थाने में शिकायत करना ही उपाय बचता है। लेकिन वहां जाने पर जब थानाध्यक्ष के नहीं होने का हवाला दिया जाता है तो लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। आमतौर पर किसी भी साइबर थाने में जाने पर पहले तो टाला जाता है। अगर किसी अफसर या जनप्रतिनिधि की पैरवी हो तभी तुरंत केस होता है, अन्यथा उन्हें महीनों थानों का चक्कर लगाना पड़ता है, तभी केस दर्ज हो पाता है।