
नवगछिया में गंगा और कोसी में लगातार बढ़ोतरी रही है। जिले के नदियों में पिछले दिनों हुए पानी में बढ़ोतरी के कारण 100 से अधिक गांव के करीब लाखों लोग इससे प्रभावित हैं। यह सभी लोग ऊंचे स्थान ढूंढ कर अपने मवेशी और परिवार के साथ किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं। इनके लिए खाने की भी ठीक से व्यवस्था नहीं है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!बिहपुर और गोपालपुर इलाके के करीब सैकड़ों ग्रामीण ने अपना आशियाना भागलपुर के हवाई अड्डा मैदान में बनाया है। जहां पर मवेशी समेत पूरा परिवार रहने को मजबूर है। भास्कर संवाददाता ने बाढ़ पीड़ितों से उनका हाल जाना है। साथ ही जीवन यापन को लेकर सवाल किया।
बाढ़ ने छीना हजारों परिवार का आशियाना
गंगा और कोसी में बाढ़ का पानी आ जाने से लोगों के बीच स्थिति भयावह हो जाती है। लोग ऊंचे स्थान को ढूंढने लगते हैं। हाल ये हो जाता है कि रहने और खाने के लिए तरसना पड़ता है।
बाढ़ की त्रासदी को झेल रहे हजारों परिवार में सैकड़ों अपने मवेशी के साथ हवाई अड्डा में रह रहे हैं। भास्कर रिपोर्टर ने आधा दर्जन बाढ़ पीड़ितों से बातचीत की है। बातचीत के दौरान नाथनगर के अजमेरीपुर (दियारा) के रहने वाले चंगुरी मंडल ने बताया कि प्रत्येक साल बाढ़ की त्रासदी को झेलते हैं। आशियाना भी प्रत्येक साल बनाना पड़ता है। हम लोग के पास ऊंचे स्थान पर जगह जमीन नहीं है। इसके कारण जब भी बाढ़ आता है। तब आशियाना उजड़ जाता है।
मजदूर परिवार के लोग पक्का घर बनाने में असमर्थ
पीड़ित प्रत्येक साल एक झोपड़ी नुमा घर बनाते हैं। इन्हें पता होता है कि बाढ़ इन्हें खत्म कर देगी। जिसके कारण पक्का मकान नहीं बनाते है। मजदूर परिवार के लोग पक्का घर बनाने में भी असमर्थ रहते हैं। इन लोगों का कहना है कि सरकार ने आज तक हम लोगों को इंदिरा आवास का फायदा नहीं दिया। जिससे हम पक्की मकान को बना सके, अगर पक्की मकान होता तो शायद मेरा आशियाना खत्म नहीं होता।
पीड़ित आगे बताते हैं कि जिला प्रशासन दावा करते है कि हवाई अड्डा में हम लोग मवेशी व परिवार के साथ रह रहे है। सारी सुविधाएं मुहैया कराने का दावा है। लेकिन, ना शौचालय है। न शुद्ध पानी का व्यवस्था, ना दो वक्त कि खाना पकाने का व्यवस्था है। न मोबाइल चार्ज हो पा रहा है।
लोगों का साफ तौर पर कहना था कि आठ मवेशी हम लोग के पास है। 15 दिन से हम लोग यहां पर है। 15 दिन में 2 दिन खाना बनाए है। बाकी दिन सुखा खाना से गुजर रहा है।
सत्तू व सुखी चीज खाकर कर रहे गुजारा
महिलाएं गायत्री देवी बताती है कि घर में सदस्य कम है, इसीलिए सत्तू व सुखी चीज को खाकर गुजारा करना पड़ता है। 15 दिन में 2 दिन भी मेरे घर खाना नहीं बना है। खाना इसलिए नहीं बना है, क्योंकि इनके पास साधन नहीं है। जिला प्रशासन की तरफ से इन लोगों को खाना मुहैया नहीं कराया गया। यही, वजह है कि सिर्फ बाढ़ की परेशानियों से नहीं बल्कि सिस्टम के भी परेशानियों से भी जूझना पड़ रहा है।
बाढ़ राहत का काम जारी
इस्माइलपुर और गोपालपुर प्रखंड में लगातार बाढ़ राहत कार्य जारी है। एक ओर जहां लगातार तीन स्थलों पर सामुदायिक किचन चला कर बाढ़ प्रभावित लोगों को निरंतर भोजन कराया जा रहा है। वहीं, बाढ़ आश्रय स्थलों पर लगातार निरंतर साफ सफाई की मुकम्मल व्यवस्था की जा रही है। नगर परिषद नवगछिया भी बढ़ चढ़कर इसमें अपना सहयोग प्रदान कर रही है।