नवगछिया : अनुमंडल का रंगरा प्रखंड में हर साल बाढ़ और कटाव से हजारों लोग विस्थापित हो रहे हैं। 2014 में कोसी में आई बाढ़ के कारण मदरौनी गांव के पास रिंग बांध करीब डेढ़ किलोमीटर ध्वस्त हो गया था। इसकी वजह से कोसी का पानी प्रखंड की 5 पंचायतों में फैल गई थी और काफी नुकसान हुआ था। लेकिन 10 साल बाद भी दोबारा इस बांध का निर्माण नहीं हो सका है।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार हर साल इन 5 पंचायतों में रहने वाले करीब 60 हजार बाढ़ पीड़ितों को 30 करोड़ रुपए से अधिक मुआवजा देती है। जबकि डेढ़ किलोमीटर टूटे बांध को बनाने में 4 से 5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। बावजूद इस दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है। बांध टूटने के बाद से हर साल प्रखंड के बनिया, जहांगीरपुर बैसी, मदरौनी, कौशिकीपुर, साधपुर और चापर पंचायत में कोसी का पानी प्रवेश कर जाता है।

ऐसे में सरकार हर परिवार को मुआवजे के तौर पर 6 हजार रुपये देती है। घरों में पानी घुसने के बाद लोग रेलवे लाइन व एनएच के किनारे रहते हैं। यही नहीं, बाढ़ में हर साल 500 एकड़ जमीन में पानी रहने के कारण यहां के किसान एक ही फसल उपजा पाते हैं। वर्ष 2008 में पुरानी रेललाइन किनारे रिंग बांध पर बसे सहौर गांव के लोग वर्ष 2014 में कोसी के प्रकोप से विस्थापित हो गए थे।