
नवगछिया : बड़ी घाट ठाकुरबाड़ी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथाव्यास सिया वल्लभ शरण महाराज जी श्री ने ध्रुव चरित्र कथा का वर्णन किया। ध्रुव की कथा के माध्यम से श्रोताओं को भक्ति और दृढ़ संकल्प को विस्तार से समझाया।उन्होंने कहा कि एक बार उत्तानपाद सिंहासन पर बैठे हुए थे।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!ध्रुव खेलते हुए राज के महल में पहुंच गए। उस समय उनकी अवस्था 5 वर्ष की थी।उत्तम राजा उत्तानपाद की गोदी में बैठा हुआ था। ध्रुव राजा की गोदी में चढ़ने का प्रयास करने लगे। सुरुचि को अपने सौभाग्य का इतना अभिमान था कि उसने ध्रुव को डांटते हुए कहा कि अगर इस गोद में चढ़ना है तो पहले भगवान का भजन करके इस शरीर का त्याग कर और फिर मेरे गर्भ से जन्म लेकर मेरा पुत्र बन।
तब तू इस गोद में बैठने का अधिकारी होगा। ध्रुव को अपनी सौतेली माता की बात पर कोध्र आया पर वह बेवश था। उसने अपनी मां सुनीति के पास जाकर रोते हुए सारी बातें बताई। सुनीति ने कहा, ‘संपूर्ण सुखों को देने वाले भगवान नारायण के अतिरिक्त तुम्हारे दुःख को दूर करने वाला और कोई नहीं है। तू केवल उनकी भक्ति कर।
वहीं संध्या श्री लड्डू गोपाल सहस्रार्चन पूजन के यजमान के रूप में कृष्ण भगत, छोटे लाल शर्मा व निरंजन झा ने सपत्नीक भाग लिया। मौके पर यज्ञाचार्य ललित झा, सत्यम पांडेय, विनोद मिश्र, अविनाश मिश्र उर्फ जैकी, पंडित अमरदीप आचार्य, कमेटी के प्रवीण भगत, विश्वास झा, चंदन सिंह, हिमांशु, विनय, संजय, अक्षय आदि ने सहयोग किया।भागवत कथा का समापन 25 अक्टूबर को व पूर्णीहुति, हवन 26 अक्टूबर को प्रसाद वितरण के साथ होगा।