नवगछिया के ठाकुरबाड़ी में आयोजित श्री रामचरितमानस नवाह पारायण यज्ञ और श्री राम कथा के 50वें स्वर्ण जयंती समारोह के 6वें दिन, शुक्रवार को, प्रयागराज से आए स्वामी विनोदानंद सरस्वती ने कथा सुनाते हुए महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जो किसी की दृष्टि में नहीं होता, उसी की ओर श्रीराम का ध्यान होता है। अगर कोई अपनी व्यथा सुनाता है, तो उसे कथा का रूप मिल जाता है। वही पवित्र धर्म है, जिसके बिना जीवन संभव नहीं है। जब आप धर्म की रक्षा करते हैं, तो वही धर्म आपकी सुरक्षा करता है।

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सभी की आत्मा में राम मौजूद हैं, तथा राम का दान कोई नहीं कर सकता। यदि धर्म की रक्षा के लिए दान करना पड़े, तो वह पाप नहीं है। जिनका Character गिर जाता है, उन्हें कीड़े-मकोड़े भी छोड़ देते हैं। जबकि हिमालय से गिरी किसी की हालत का सुधार संभव हो सकता है, परंतु सामाजिक गिरावट का कोई इलाज नहीं होता।

कथा के दौरान उन्होंने भक्ति गीतों के माध्यम से श्रोताओं को आनंदित किया, जैसे “करुणा निधान रहुआ जगत के दाता” और “राघव को मैं ना दूंगा” के भाव। इसी तरह, “हम हैं तुम्हारे मोहन, तू है हमारा आदि” जैसे भजनों ने भी लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। मीडिया प्रभारी अशोक केडिया ने बताया कि नवाह पारायण 7 अप्रैल, सोमवार तक जारी रहेगा। इसके बाद एक हवन समारोह का आयोजन होगा। इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में सचिव शिव जायसवाल, अध्यक्ष दिनेश सरार्फ, उपाध्यक्ष बनवारी पंसारी, कोषाध्यक्ष सरवन केडिया और अन्य कई लोग शामिल हैं, जिन्होंने इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।