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नवगछिया : छोटी काली मंदिर को बहा ले गई थी गंगा, ग्रामीणों ने दूसरी जगह निर्माण कराया

नवगछिया : छोटी काली मंदिर इलाके में काफी प्रसिद्ध है। छोटी काली मैया का आशीर्वाद कभी खाली नहीं जाता है। जो भी श्रद्धालु और भक्तजन मैया के दरबार में मन्नत मांगते हैं, उनकी मुरादे जल्द ही पूरी होती हैं। हर वर्ष मैया के दरबार में इलाके के हजारों भक्त आकर हाजिरी लगते हैं।

रंगरा की छोटी काली मंदिर में बलि निषेध है। पूर्व में यह काली मंदिर कलबलिया धार के पूरब दिशा में स्थापित था। लेकिन बाढ़ के कारण कटाव की चपेट में आने से मंदिर गंगा नदी में विलीन हो गया था। इसके बाद मंदिर की स्थापना वर्ष 1930 में नई जगह पर ग्रामीणों ने कराई थी। यह मंदिर रंगरा गांव के ठीक बीचोंबीच सुकटिया जाने वाली सड़क किनारे ​है। तीन वर्ष पूर्व आसपास के ग्रामीणों के सहयोग से लगभग 70 लाख की लागत से इस मंदिर का जीर्णोद्धा कराया। मां काली की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में मूर्तिकार जुटे हुए हैं। वहीं पूजा ​कमेटी के सदस्य भी सफल आयोजन की तैयारी कर रहे हैं। काली पूजा को लेकर लोगों में उत्साह है।

मंदिर परिसर में मेला लगता है। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम में नाटक मंचन किया जाता है। इस बार नाट्य कला परिषद रंगरा के तत्वावधान में दो दिवसीय नाटक का मंचन किया जाएगा। एक नवंबर को दो बीघा जमीन और 2 नवंबर को भाई हो तो ऐसा नाटक की प्रस्तुति कलाकार देंगे। नाट्य कला परिषद के निर्देशक अरुण कुमार चौधरी ने बताया कि इस बार विशेष तरीके से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। म्यूजिकल ग्रुप कहलगांव के कलाकार नृत्य, गायन और हास्य की प्रस्तुति देंगे। कार्यक्रम को सफल बनाने में कैलाश मंडल, मुकेश मोदी, जयप्रकाश मंडल, जपाली मंडल जुटे हुए हैं।

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