इस साल आई बाढ़ से नवगछिया, कटिहार व पूर्णिया में केले की फसल को काफी नुकसान हुआ है। भागलपुर के खरीक, बिहपुर, नवगछिया, गोपालपुर, रंगरा सहित कई प्रखंडों में करीब 300 एकड़ में लगी केले की फसल नष्ट हो गई। व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि सिर्फ इन जिलों में बाढ़ के कारण करीब 18 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इससे जुड़े अन्य व्यवसाय के नुकसान को भी शामिल कर लें तो आंकड़ा 20 करोड़ तक हो सकता है।

डीजल से मजदूरी तक महंगा

तुलसीपुर के किसान चितरंजन कुमार ने कहा कि 10 एकड़ में केला की खेती की थी। एक एकड़ पर 70 हजार रुपए तक खर्च आता है। बाढ़ का पानी आने से 70 प्रतिशत तक फसल का नुकसान हुआ है। 25-30 प्रतिशत फसल ही बाहर निकल पायी है। तेलगी के निरंजन कुमार ने कहा कि पांच एकड़ में केला की खेती की थी। इस बार फायदे की संभावना थी।

मगर अचानक खेतों में पानी आने से 90 प्रतिशत तक फसल खराब हो गयी। तुलसीपुर के शंभू कुंवर ने कहा कि छह एकड़ में से चार एकड़ में लगी फसल बाढ़ की भेंट चढ़ गयी। जबकि दो एकड़ की फसल को बचाने की कोशिश की गयी। मगर वह भी पनामा बिल्ट की भेंट चढ़ने लगी तो आनन-फानन में केला को काटकर स्थानीय बाजार में बेचा जाने लगा। कमोबेस यही हाल सभी व्यापारियों का है।

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किसानी का घट रहा क्षेत्र, व्यापार भी प्रभावित

जिला पार्षद गौरव राय ने कहा कि पहले 2000 एकड़ तक में केला की खेती होती थी। मगर पनामा बिल्ट और बाढ़ की वजह से यह सिमट कर एक हजार एकड़ में आ गया है। अगर यही हाल रहा तो धीरे-धीरे नवगछिया के किसान केले की खेती करना ही बंद कर देंगे। क्योंकि एक एकड़ में 70 हजार तक खर्च आता है। मगर फायदे के नाम पर कभी बाढ़ तो कभी पनामा बिल्ट की चपेट में किसान फंस जा रहे हैं। पहले जहां नेपाल सहित उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के बाजारों में नवगछिया के केले की दबदबा था, जो अब खत्म हो गया है।